तुम्हें नहीं लगता तुम एक कविता हो
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वाहि वात यतः कान्तातां स्पृष्टवा माम अपि स्पृश।
त्वयि मे गात्र संस्पर्शश्चन्द्रे दृष्टि सम... read more
त्वयि मे गात्र संस्पर्शश्चन्द्रे दृष्टि सम... read more
Joined 2 April 2020
21 MAR AT 23:14
ईश्वर
अगर फ़िर कभी लिखना हो
तो सबकुछ मत लिखना
बस सुनना बच्चों के द्वारा की गई प्रार्थना
और भर देना दुनिया को उन सभी ख्वाहिशों से
अगली बार एक कविता लिखना
दुनिया को उस एक कविता की
ज़रूरत सबसे ज्यादा है
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