-
134340_u_2bd4
(∞)
337 Followers · 77 Following
वाहि वात यतः कान्तातां स्पृष्टवा माम अपि स्पृश।
त्वयि मे गात्र संस्पर्शश्चन्द्रे दृष्टि सम... read more
त्वयि मे गात्र संस्पर्शश्चन्द्रे दृष्टि सम... read more
Joined 2 April 2020
21 MAR AT 23:14
ईश्वर
अगर फ़िर कभी लिखना हो
तो सबकुछ मत लिखना
बस सुनना बच्चों के द्वारा की गई प्रार्थना
और भर देना दुनिया को उन सभी ख्वाहिशों से
अगली बार एक कविता लिखना
दुनिया को उस एक कविता की
ज़रूरत सबसे ज्यादा है
-
31 DEC 2024 AT 13:21
न जाने कौन से सफ़र में हैं?
पैर न जाने किसके असर में हैं?
रास्तों को ठीकाना कहां मालूम?
मंज़िल मुसाफ़िर की नज़र में हैं!-
30 DEC 2024 AT 23:28
एक वादे को याद कर बस याद आता है
किया हर इक वादा निभाना नहीं होता
-