134340_u_2bd4   (∞)
345 Followers · 78 Following

read more
Joined 2 April 2020


read more
Joined 2 April 2020
11 SEP AT 7:31










-


28 AUG AT 18:38








-


26 AUG AT 20:11







-


23 AUG AT 0:06










-


6 JUL AT 19:33

जाने क्यों उदास हो रहा हूँ मैं?
क्यों ग़म का ख़ास हो रहा हूँ मैं?
सुबह का सूरज नाराज़ हो रहा है,
क्यों अंधेरे के पास हो रहा हूँ मैं?

क्यों मुझे ग़ज़ल लिखनी है?
क्यों स्याह-साज़ हो रहा हूँ मैं?
एक कसक जलाने पर तुली है!
और सूखा कपास हो रहा हूँ मैं,

न जाने क्योंकर ही ओढ़ोगे तुम,
जाने क्यों लिबास हो रहा हूँ मैं,
मेरी रंगत तुम्हारी लौ लिए है,
तुम्हारे आँगन का पलाश हो रहा हूँ मैं,

-


27 JUN AT 0:02

तुम्हें नहीं लगता तुम एक कविता हो

-


17 MAY AT 19:29





-


25 APR AT 23:13





-


1 APR AT 19:10

-


21 MAR AT 23:14

ईश्वर
अगर फ़िर कभी लिखना हो
तो सबकुछ मत लिखना
बस सुनना बच्चों के द्वारा की गई प्रार्थना
और भर देना दुनिया को उन सभी ख्वाहिशों से

अगली बार एक कविता लिखना
दुनिया को उस एक कविता की
ज़रूरत सबसे ज्यादा है

-


Fetching 134340_u_2bd4 Quotes