ये जो घर छोड़ कर निकले हैं कुछ पाने के लिए,
ये हर रात रोते हैं सब घर जाने के लिए।
ये जो घर पर चिड़चिड़े से सब पर चिल्लाया करते थे ,
ये तन्हाई में गुनगुनाते हैं मां के पास जाने के लिए।। 🙌💯🥺-
जिम्मेदारियां सिर पर ना हो तो जीवन का आनन्द लेना । अपनी हर चाहत पूरे करना क्योंकि जिम्मेदारी का
मतलब ही है,
दूसरों के लिए जीना ।।
जलन चुभन लगती रही,
ख़्वाहिशें दिल में मरती रही
जिंदगी यूँ ही चलती रही
जिम्मेदारियाँ बढ़ती रही।
🕊️😥💯✨🙌-
क्या फायदा ऐसी ज़िंदगी का जिसमे खुद की हंसी और खुशी के लिए दूसरों के गुलाम बनके फिरों 😐💯✨
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इस जिंदगी के सफ़र में थकान बहुत हैं अपनों के अपनों पर यहाँ इल्जाम बहुत है..
शिकायतों का दौर देखता हूँ तो थमसा जाता हूँ, लगता है उम्र कम है और इम्तिहान बहुत है..
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अपने ही अपनों से रखते है, अपनेपन की अभिलाषा किन्तु अपनों ने ही बदल डाली अपनेपन की परिभाषा...।। 🌹✨🕊️
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प्रिय बंधु, मै हसदेव की जंगल बोल रहा हूँ.
मुझे पता नही की आप कौन है हो सकता है आप मजदूर हों
अध्यापक हो, किसान हो, छात्र हो, व्यापारी हो अधिकारी हो या फिर कोई आम नागरिक हो, आप चाहे कोई भी हो यदि आप चाहें तो आपके प्रयास से मै बच सकता हूं। यदि मै समाप्त हुआ तो आपका जीवन भी समाप्त हो जायेगा। आपको शायद ज्ञात नहीं कि छत्तीसगढ़ में मानसून लाने में मेरा महत्वपूर्ण योगदान है। यदि मानसुन ही नहीं आया तो फसल कैसे उगावोगे मेरे बीना तुम दाना दाना को तरस जावोगे मेरे अंदर छिपे चंद कोयले से तुम कब तक मुफ्त बिजली पाओगे मैं न रहूं तो सूरज की गर्मी में पिघल जावोगे कोरोना में आक्सिजन की कमी को क्या तुम भूल गये मै कट गया तो मेरा प्रकोप न सह पावोगे । चंद पैसों के खातिर यदि मेरा अस्तित्व मिटावोगे याद रखना प्यास और भूख से तड़प तड़प मर जावोगे दस सालों से मैं कानूनी लड़ाई लड़ रहा हूं पर हर बर छला जाता हूं कभी शासन प्रशासन तो कभी अपनों से ही धोखा खाता हूँ। मै हसदेव बोल रहा हूँ, हसदेव बोल रहा हूँ, हसदेव बोल रहा हूँ-
#savehasdeo #savenature
ये सुहावनी ताजगी भरी हवा, मधुर संगीत से भरी कोयल की कूक, क्या ये कहीं विलीन होने को है, बचा लो साथियों, हमारी जीवनदायिनी प्रकृति उजड़ने को है......
वो झरने की झंकार, नदी की चट्टानों के साथ हुंकार, वो ऊंचे पेड़ की सुकून भरी छांव, प्रकृति की गोद में बसा मेरा छोटा सा गांव, क्या ये सब हमारे खोने को है, बचा लो साथियों, हमारी जीवनदायिनी प्रकृति उजड़ने को है..
वो जंगल नही, हमारे सांसों का किस्सा है, दिल का टुकड़ा हो जैसा, प्रकृति का वैसा हिस्सा है, नाश हो रहे जंगल, प्रदूषण से बुरा हाल है, फिर भी अभी तक, प्रकृति बचाने पर सवाल है, क्या हम अपने अस्तित्व खोने को हैं... बचा लो साथियों,
हमारी जीवनदायिनी प्रकृति उजड़ने को है.....
#savenature
#savehasdeo-
पुराना समय जा रहा है नया समय आ रहा है हर कोई अपनी तरह से गम और खुशियां मना रहा है हमारे लिए न तो दशा बदली है और न बदले हैं हालत जहां कल खड़े थे आज भी वहीं से रास्ता जा रहा है पलट कर देख रहे हैं जो पीछे छूट गया क्या पता वही समय फिर सामने से आ रहा है कहते हैं किस्मत के सहारे नहीं रहना चाहिए पर हाथों कि लकीरें भी तो भाग्य ही बना रहा है ईश्वर कहता है कि बुरा समय कभी न कभी तो चला ही जाएगा पर हर बुरे समय से भी तो मिलवा रहा है हम भी खुश रहें तुम भी खुश रहो ये समय बस इतना सा सबक सिखा रहा है आखिर कब तक अच्छे बुरे के लिए रोते रहेंगे जाने कितना समय तो बस ये सोचने में ही जा रहा !!....
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