मैथ तो फिर भी
समझ आ जाती है,
मगर लोग ??-
दिमाग से चलती तो बीरबल बादशाह होता ।
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मुझे उसके साथ कब कहाँ देखा गया
पहली मर्तवा मुझे शाइरी में देखा गया
ठण्ड में सिमट कर सो गई इक माँ
और बच्चों को किनारा करते देखा गया ।
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रक़ीब है साथ में वो, निगाहों से बता देती है
फिर वो अपने कार का, सीसा चढ़ा लेती है ।
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उसने अपना घर बचा लिया, झूठी गवाही से
कि ये इश्क़ का दर्द, नही जाता दवाई से
इक शक़्स आज पूरी खुशियाँ लुटा आया
बाजार में
अपने लिए कुछ नहीं लाया, वो अपनी कमाई से ।-
कल क्या था ये मत सोचो
ये दुनियां आज देखती है ।
मियाँ पहले पत्ते मत खोलो
ये दुनियां तुरुप का राज देखती है ।
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अल्लाह से डर, कुछ तो ख़्याल कर
रमजान में रोज़े रख, और ख़ुद पर मलाल कर
मैंने तेरे तोहफ़े कुछ इस तरह संभाले है
जैसे इक माँ, कुछ सिक्कें देती है बच्चों को निकाल कर ।
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हमनें भी कुछ इस तरह से, उन्हें किया मक़बूल
10 ₹ की चाय पिलाई, बस 20 रुपये के फूल ।-
ये फिजाएं उसको, कान-ओ-कान ख़बर करती है
बस में, में बैठता हूँ, और यादें सफ़र करती है ।-
मेरा इश्क़ कलम, और वो दर्द-ए-डायरी ही क्या,
जबतक लफ्ज़ किसी के दिल को न छूये..तो शायरी ही क्या ।-