दोस्त वो अक्सर मतलब से मिलती थी मुझसे मुझे सिर्फ उससे मिलने से मतलब था मेरे जज्बातों से उसका कोई लेना देना न था बड़ी ही बेख्याली से घंटों बतियाती थी वह कोई पर्दा न था बड़ी ही बेतकल्लुफ़ थी मुझसे... कोई होश न था क्योंकि मैं उसकी मोहब्बत नहीं सिर्फ़... उसका 'दोस्त' था!