" स्वामी रामसुखदास जी की अमृतवाणी से "
आप ईश्वर को नहीं देख सकते लेकिन ईश्वर आपको निरंतर देख रहा है !
ऐसा होना चाहिए और ऐसा नहीं होना चाहिए इसी क्रम में सारे दुख छुपे हुए हैं !
अपने स्वभाव को शुद्ध बनाने के समान कोई उन्नति नहीं है !
अच्छाई का अभिमान बुराई की जड़ है !- Radheshyam Khatik
6 OCT 2019 AT 10:50