'यदि कहूं कि संगीत जीवन है, तब जीवन तो सबके पास है. यदि कहूँ कि संगीत आजीविका है, तो आजीविका भी सभी के पास होती है. यदि कहूँ कि संगीत प्राण है, तो प्राण भी हर जीवनधारी के पास है. मेरे लिए संगीत हर चीज से परे है. हर अभिव्यक्ति से परे है, हर भाव से ऊंचा है. बस संगीत ही संगीत है, और कुछ नहीं.''
- पंडित जसराज जी
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