(Rupali singh)
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लेखक
Joined 19 September 2022


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Joined 19 September 2022
14 JUN AT 21:16

कोई मिला कोई मिलने की चाहत ले के जा रहा था
किसे पता था ये वक़्त सबको सिर्फ भरमा रहा था
कोई दुबारा मिलने के एतबार से उड़ान भरने जा रहा था
कोई पहली बार मिलेगा ये सोच के फूलो नहीं समा रहा था
किसी को नहीं पता कि वो अपने जीवन का आखिरी
निवाला खा रहा था.....
सबका इंतजार अब आजीवन के इंतजार में बदल गया
जो गया वो अब कभी लौट के नहीं आयेगा यही बात सबको
बस अन्दर ही अन्दर खाए जा था..... 12/06/25 💔💔

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6 JUN AT 12:18

वो आखिरी पल जिसमें आँसुओं से भरी आँखों से
आपके धुंधले चेहरे को देख रही थी....
आपके सीधे दोनों पाँव को जब सबने छूने को कहा
मन में अन्दर ही अन्दर बस यही बोल रही थी कि
बोलिए ना पापा हमेशा की तरह एक बार की खुश रहो
अब b'day में आपसे नहीं बुलवा पाती जबरजस्ती की
पापा happy birthday बोलिए.....
अब कुछ पहले जैसा नहीं ना घर ना आपके अपने
सब बस एक दूसरे को दिखाते हैं कि हाँ हम ठीक हैं
चेहरे के मायूसी को मुस्कान तले ढ़क देते हैं....
पापा आपके जाने से ये घर आँगन सब फिके हैं..
लूट गयी रौनकें चेहरों की हमारी जो आपके सामने
हँसते थे..
अब मायूसी है तकलीफ है बस यही हमारी दुनियाँ है|

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24 MAY AT 10:40

आप हमारे परिस्थिति का केवल अनुमान लगा सकते हैं....
हमारे मन की व्यथा केवल हम ही जानते हैं 🙃🙃

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21 MAY AT 12:11

आपके जाने के बाद मैं बहुत सारी परिस्थितियों से लड़ी पापा
लेकिन मैं अन्दर ही अन्दर टूट रही हूँ .......
हर किसी ने कहा तुम संभाल लोगी सबको....
मैं खुद को भी कभी नहीं संभाल सकी पापा.....
मुझे घर जाने पर आपकी और मम्मी की नोक - झोक
और मुस्कुराहट चाहिए थी....
क्या मैं इसमें गलत थी पापा 🥺🥺🥺
अब हम बड़े हो गए थे हमारी ख्वाहिशें बस इतनी भी
कि आप दोनों को मिले सुकून हमारी वजह से.....
क्यों रह गयी इसमें कमी पापा 💔💔

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21 MAY AT 11:54

.....

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15 MAY AT 9:14

समाज की मानसिकता यह है कि
बच्चा एक ही अच्छा है यदि वह पुत्र हो तो

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8 MAY AT 14:36

शुरू - शुरू में जिसको अपना सम्मान बताते हो
कुछ वर्षों के रिश्तों के बाद उसका सम्मान डुबाते हो
खुद को सही साबित करने के लिए उसको समाज में
गिराते हो......
जो चीजें कभी हुई ही नहीं वो भी पैदा कर के बताते हो
ऐसा करते हुए क्या तुम अपने नजरों में उठ पाते हो.....
उसकी गलती बस इतनी सी है वो जबाने को नहीं समझ
पाती है.....
उसकी एक भूल को तुम किस हद तक ले कर जाते हो
अपनी आत्म संतुष्टि के लिए उसको हर जगह गिराते हो
क्यों तुम आखिर किस बदले में ऐसा कर जाते हो......

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29 APR AT 5:39

पिछले साल के इस तारीख को सब ठीक था ....
किसे पता था आने वाला साल सब बिखर जाएगा
आज 10 महीने एक दिन हो गए आपको गए हुए
इन बीते दिनों में ज़िंदगी हर रोज एक मौत की तरह
गुजरती है......
हर रोज इस उम्मीद में सोती हूँ शायद आज आप सपने
में दिखें... लेकिन हर सुबह निराश के साथ उठती हूँ
बहुत अजीब सा होता है मन में तकलीफ नहीं शायद
उस जज्बात के लिए शब्द नहीं है मेरे पास ....
बस लगता है कि एक बार बस एक बार आप मेरा नाम
ले के बुला देते मैं भाग के आ जाती आपको जाने नहीं देती
हम सब से दूर कभी नहीं जाने देती......
जानते हैं पापा आपके साथ आपके बच्चों का बचपना भी चला गया
छोटा जिद्द नहीं करता सब कुछ खा लेता है......
मम्मी आपके रूम के बाहर आज भी बैठती हैं लेकिन आप नहीं दिखते
कहीं भी जो उनसे बात कर सके.....
बस एक तकलीफ मेरे शरीर के साथ ही शांत होगा कुछ कर नहीं पाए
आपके लिए जैसे लगता है अब क्या करूं किसके लिए करूं जिसके लिए
सारे सपने देखे वो तो शामिल ही नहीं मेरे जीवन में
काश की आपसे वो आखिरी मुलाकात नसीब हुआ होता
जिसमें आप बात करते मैं सुन पाती कुछ कह पाती बहुत कुछ कहना था......
सब अधूरा रह गया जो सपने आपने मेरे लिए देखे वो भी
जो मैने आपके साथ देखे थे वो भी.....
पापा..... 💔💔😭😭😭😭😭😭

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31 MAR AT 12:45

आपके जाने के बाद जीवन के हर एक विपरीत परिस्थिति में
परिस्थिति के ठीक होने से ज्यादा दिल ने केवल आपका लौट
आना चाहा....... 💔💔

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10 MAR AT 14:04

जो लोग सफल नहीं हुए हैं अभी मकसदे जिन्दगी में
उन्हें बेवकूफ समझने की गलती ना कर ए गालिब...

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