उम्र का पता नही मग़र ज़िन्दगी अब हमशफ़र चाहता हैं।
दर्पण से बातें करते-करते थक गया हैं मन मेरा
अब दिल किसी को घंटों बैठ बस सुन्ना चाहता हैं।
कोई तो हो जिसको देखु और सुबह कर दु।
आख़िर कबतक करवटें बदलता रहूँगा सपने बदलनें के लिए।-
(Pradeep yadav)
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साम – दाम तुम्हीं रखो... मैं दंड में सम्पूर्ण हूँ...�
I'm A Good Person, I Just Have Bad Ha... read more
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Joined 17 September 2020