(Niraj Gupta)
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Jab jab dil me dard uthta hai
Dil ki saari baaten panno par likh deta hun.....
Joined 4 July 2020


Jab jab dil me dard uthta hai
Dil ki saari baaten panno par likh deta hun.....
Joined 4 July 2020
10 NOV 2022 AT 2:19

किस बात का गम करें कि जी रहे हैं अकेले ?
इक ख़ुशी है कि एक रोज़ मर जाना है अकेले

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23 OCT 2022 AT 22:59

दिवाली खुशियों का त्यौहार है। हर कोई इनका बेसब्री से इंतजार करता है। पटाखे फौरना, अपने पिता, भाई के साथ हुका-पाति खेलना ।घर मे बने माँ के हाथो का पकवान खाना। मगर देखते हि देखते ये सब चीजे एक समय के लिए आपसे दूर होते चली जाती है। ये मेरे जीवन का दूसरा दिवाली है जिसमें मैं चाहते हुए भी घर नहीं जा सका । मुझे नहीं पता ऐसा क्यूँ हो रहा है लेकिन कहीं ना कहीं मैं खुद को समय कि डोरियो से बंधा हुआ पाता हूँ। अगर रूपया आपके जिन्दगी को संवारती है तो वो आपके खुशियों का संहार करती है। एक मन को तो कहता है चलो कोई नहीं, होता है और भी बहुत से लोग है तुम्हारे जैसे मगर यही वो पल होता है जिस समय हमें अपने परिवार, अपने घर कि सबसे ज्यादा याद आती है। खैर............!
आप सभी को दिपावली कि बहुत बहुत शुभकामनाएं...

प्रभु श्रीराम हम सबके जीवन मे खुशियाँ लाए।🪔🙏

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1 FEB 2022 AT 21:58

तेरे जाने के बाद
हर एक शौक पाल रखा हूँ,
बदलते लोगों में खुद का नाम
शुमार कर चुका हूँ।
हो रहा था बर्बाद जिस तरह मैं
अब तो फकत तेरी यादों को भी
जेहन से तबाह कर चुका हूँ।
संकोच क्या करना ये कहते हुए कि
खुश रहने वालों से जलता हूँ मैं
जगह जगह जो तेरे नाम कि
महफिलें सजी है
आलम ये रहा कि तेरे जाने के बाद
अब बहुत कम घर से निकलता हूँ मैं

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19 JAN 2022 AT 10:47

जिस शहर,जिस गली से सुकून था,
अब वहीं बेचैनियो का कारण बन चुका है..

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12 JAN 2022 AT 9:30

गम मे जीने वालों के लिए खुश रहना जुर्म होता है,
और खास बात ये है कि
मैं वर्षो से इस जुर्म मे गिरफ्त हूँ....🖤

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3 JAN 2022 AT 11:42

गुजर रही जिन्दगी जिस तरह
ये मेरे जीने का ढंग नहीं,
आशा,निराशा,उम्मीद,बे-उम्मिदे
सब बेकार गए
मुझ से तो मेरे ही गम उठाए ना गए।
जिस गली से वास्ता था मेरा
वहाँ मेरी चली ही नहीं
दिलेमुहल्ले में बसाया था जिसे
अब तो वहाँ का मैं मुसाफिर भी नहीं
अब वो शहर क्या,वो गली क्या
अब तो वहाँ जाने का जी भी नहीं
जो शौक मेरे थे ही नहीं
जो जिन्दगी मेरी थी ही नहीं
उसे जीना
हाय सब बेकार गए......।

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22 DEC 2021 AT 14:36

सूखा हुआ है दरिया
किसी ने कंकर फेका है
सन्नाटा पड़ा है अंदर
एक आवाज़ गूंजा है....
लगता है,
तेरी यादों का रुखसत हुआ है
आज फिर
मेरे दुःखो मे इजाफा हुआ है,
संभालता हूँ खुद को
संभल नहीं पाता हूँ
इतनी दूरिया के बाबजूद खुद को
तुझसे दूर नहीं कर पाता हूँ
गांव बदले,शहर बदला
बदल डाले सारे ख्वाइशों को
फिर भी ना जाने क्यूँ
फंसा पाता हूँ दलदल मे.....

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20 DEC 2021 AT 7:48

मस्तमगन रहती हो आजकल
मुझको यक्सर भुला चुकी हो क्या
गमों से रिश्ता जोड़ मेरा
खुशियों कि सौगात पा चुकी हो क्या
हिज्र का सौदा भारी रहा
अब तो,
शिकायतो का भी मज़ा नही रहा
एक आस लगी रहती है,तेरे लौट आने कि
ये बताओ बहुत दूर जा चुकी हो क्या...

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18 DEC 2021 AT 20:54

इश्क़ मे नादानियाँ ठीक नहीं
दोबारा मोहब्बत कि जाए
अब ये मुनासिब नहीं....

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18 DEC 2021 AT 20:36

वहम् ही ठीक था हमारे बीच
हिज्र का सौदा भारी रहा मुझपर....🖤

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