(Gobind Arora "Vinit")
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Joined 13 June 2020


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49 MINUTES AGO

ए,,,,, जि़न्दगी,,,,,
ये बहारों ये नज़ारों का सफर अब मुबारक हो तुझे
क्योंकि अब मुझे रास ना आएगा तेरे शहर का मौसम।।

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AN HOUR AGO

ए,,,, जिन्दगी,,,,
ठहरा रहने दे मुझे पत्थर न उछाल
वो लहर आएगी मुझमें कि तू बह जाएगी।

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5 HOURS AGO

ए, ,, जिन्दगी,,,,
तेरी महफ़िल से अच्छी मेरी तन्हाई है
जो हर पल मेरे साथ में तो रहती है।।

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7 HOURS AGO

खुद पर भरोसा रखो
सुनो सबकी करो मन की
कर्म करो बाकी सब
उस पर छोड़ दो जो
कभी किसी का बुरा
नहीं होने देता।
राधे राधे।

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23 HOURS AGO

ए,,,, जि़न्दगी,,,,,
बिन इन्सान के जैसे कोई घर खड़ा रहा
सहरा में जैसे इक शज़र खड़ा रहा
हालत मेरी कुछ कुछ ऐसी ही है
बिन तेरे जैसे तेरा शहर खड़ा रहा।

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23 HOURS AGO

ए,,,, जि़न्दगी,,,,
तू न हो करीब तो बेचैन रहता हूँ
कमाल ये है कि तेरा आगोश मुझे सोने नहीं देता।

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YESTERDAY AT 16:54

ए,,, जि़न्दगी,,,,,
क्या तू भी छोटे ग़म देती है सिक्कों की तरह
एक बार ही बरस जा तू नोटों की तरह।

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YESTERDAY AT 16:39

ए,,,, जि़न्दगी,,,
तेरी ख्वाहिश भी की तो क्या की
मेरी ख्वाहिश तू कर तो बात बने
क्या हुआ जो तुझे शिकायत है मुझसे
मैं गर करूं गिला तो बात बने।

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YESTERDAY AT 15:49

ए,,,,, जि़न्दगी,,,,
एक ही पहलू देख कर घबरा गई है तू
भरे बाज़ार तू मुझे उछाल कर तो देख।

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YESTERDAY AT 15:42

ए,,, शमां,,,,
न कर गुमां खुद पर
कि तू परवाने को जलाती है
सोच, तू भी तो जलती है
जब लौ फड़फड़ाती है।

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