याद आ रही है तुम्हारी,मगर तुम आए नहीं।
आज की तरह तो तुम,हमें कभी सताए नही।।
इस कदर रूठे हो,कहीं हमसे कोई गिला तो नहीं।
इस कदर तड़पाओगे हमें,ऐसी कोई वज़ह तो नहीं।।
रूठने की कोई वज़ह देना,गलती हो हमारी तो बता देना।
कभी हमसे यूं रूठना नहीं,चाहे कितना भी सता लेना।।
कहते थे कि हमसे बात किए बिना,उन्हें नींद नहीं आती।
ये झूठ बोलने का हुनर,ज़रा हमें भी सिखा देना।।
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