कितना फ़र्क है हमने और तुमने फिर भी तर्क क्यों देते हो,,,
मैं नहीं कहती औरत श्रेष्ठ है फिर क्यों मर्द को ही श्रेष्ठ कहते हो!!
कायनात ने जब हम समस्त मनुष्य जन को पांच तत्वों से ही बनाया,,,
फिर क्यों हमारे अस्तित्व किसी और के अस्तित्व में ढूढते हो!!
सोने के पिंजरे में कैद नन्ही चिड़ियां भी पंख के बिना फरफरती है,,
किस सदी की सोच रखकर हमें आज में आजमाते हो,,,
डर लगता है आज भी सुनसान रास्तों से अकेले आने में,,
सब की सोच तो उत्तम है हाथ कोई और पकड़े सवाल हमपे उठाते हो!!
खोट हम में नहीं देखने वाले के नजर व किरदार में होता है,,,
फिर भी जमाने भर की हिदायतें हमारे हक में दे देते हो!!
कितना सवाल पूछते हो ना एक मिनट देर आ जाने से,,,
क्या कभी नवाबजादों से पूछे कि तुम रात रात भर कहां रहते हो!!!
पूछा था कभी किसी से सवाल की मर्द इद्दत में क्यों नहीं बैठते,,,
बड़ा अजीब जवाब मिला क्योंकि वो कभी गर्भ से नही होते है!!!
दिन गुजर गया पर कभी समझ नहीं आया वह जवाब ऐसा क्यों था,,,
पर कुछ सवाल गुजरे वक्त के साथ अपने आप ही सुलझ जाते हैं!!!
कल तक खामोश थे आज खुद का ही कत्ल कर दिया है,,,
जुबान खोलो तो बदतमीज ना खोलो तो घमडी कहलाते हैं!!
- ( Yash_Fa )
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