(Saurabh mehra)
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#खुद ही को कर बुलंद इतना की खुदा भी पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
Joined 23 March 2020


#खुद ही को कर बुलंद इतना की खुदा भी पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
Joined 23 March 2020
28 APR 2022 AT 16:32

तेरे तौर तरीकों से अनजान हूं मैं

ऐ जिंदगी अभी तो नादान हूं में ।

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15 MAR 2022 AT 16:16

ये आईना तुम्हें तुम्हारी खबर ना दे सकेगा

हमारी आँखों से पूछो कितने हसीन हो तुम।

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12 MAR 2022 AT 17:51

तुम मेरे हो मुझ को यह यकीन था

झूठ था मगर कितना हसीन था।

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8 MAR 2022 AT 19:21

उसकी मोहब्बत को कुछ इस तरह निभाते हैं हम

वो तकदीर में नहीं है

फिर भी उसे बेपनाह चाहते हैं हम ।

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5 MAR 2022 AT 11:33

तुझे गुरूर है कि

तुझे चाहने वाले बहुत है

और मुझे गुरूर है कि

मेरी तरह तुझे कोई

और चाह नहीं सकता

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5 MAR 2022 AT 11:27

मकान तो एक भी अच्छा नहीं था उसकी गली में

मगर एक दरवाजा बेहद खूबसूरत लगता था ।

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3 MAR 2022 AT 12:59

तबाह होकर भी तबाही दिखती नहीं

यह इश्क़ है जनाब इसकी दवाई बिकती नहीं

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26 FEB 2022 AT 13:41

लोग दीवाने हैं बनावट के....

हम कहा जाए सादगी लेकर ।

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25 NOV 2021 AT 22:28

फिर एक दिन हसरतों से हारकर

हकीकत से मैंने दोस्ती karli

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24 NOV 2021 AT 15:50

मेरी कविताओं में जब भी तेरा जिक्र आता है

अजी कलम तो छोड़िये , पन्ना पन्ना इतराता है ।

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