छुपाये ना छुपती है
कभी खुद से कभी औरों से
कल के नए बहाने आज की कमी लगती हैं
स्कूल की वो यादें छुपाये ना छुपती हैं
नयी दिशाओं का सफर वो पहला कदम
परछाईं के पीछे चलना
आँखों ही आंखों में गुम है
स्कूल की यादें छुपाये ना छुपती हैं-
अपने जीवन में कुछ कर ना सका
मन में अंधियारा छाया रहा
वो ज्वाला लेे कर आयी थी
उसमे जल के जीवन बिता दी
पर मन में उजियारा ला ना सकी
अपने जीवन में कुछ कर ना सकी
काश अपनी आग बुझा लेता
मन में ध्य बांधा लेता
तो मन का सागर लहराता
पर मन की प्यास बुझा ना सका
अपने जीवन में कुछ कर ना सकी
क्या बीता जीवन लौट कर आएगा
मन जी भर पछताएगा
मरना तो है पर जब मरना था तब मर ना सका
अपने जीवन में कुछ कर ना सका
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मां तुम बिन जीना सीख गए
जाते जाते तूने आवाज तो दी होगी
पर हमने ना सुनी
उन लम्हों को हमने ना जिया
जाते जाते तूने आवाज तो दी होगी
भाव में भी अभाव था
आज अभाव में भी भाव है
जीवन की हकीकत में
मातृ दिवस के रूप में रह गई
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हर कहानी सच्ची हो ,जरूरी तो नहीं
अच्छे के साथ अच्छा हो ,जरूरी तो नहीं
अपनी अपनी कोशिश सही हो जरूरी तो नहीं
सफर की चाहत पूरी हो जरूरी तो नहीं
चढ़ते सूरज के साथ सब चढ़ जाते है
ढलते सूरज के साथ सब ढल जाए जरूरी तो नहीं
आज के टूटते ख्वाबों का सच
कल अच्छा हो जरूरी तो नहीं
अच्छा के साथ अच्छा हो
जरूरी तो नहीं।।-
मन ही मन में दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल घूमेंगे
जब तक रहेगी तब तक आप बीती सुनाएंगे
तुम जो देखो तुम जो समझो तुम जानो
देर ना करना संभलने में वरना खो जाओगे
बच्चों के मन को दर्पण के चांद सितारों से बहलनो दो
सच झूठ सीख कर कल हम जैसे हो जाएंगे
अच्छे बातें करने वाले सारे दिल के खोटे मुमकिन है
हम तो उस दिन बोलेंगे जब ठोकर खा कर संभलेंगे
किन राहो का सफ़र आसान था कौन सा मुश्किल
हम जब संभलेंग औरो को समझाएंगे-
सोचने लगे ना बिकी
ना मोल ही मिला
सारे चिंता सर पे लिए,
प्रभु की चिंतन में खो गए
अपनी सुध भी ना रही
तो प्रभु लियो चिंतन उठाई
जब सुध आयी प्रभु की
तो आंखो से अश्रु बहने लगे
प्रभु में ऐसी लागी सुध की
कहानी सभी गुनगुनाने लगे
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ना जाने कहां खो गए
एक पल की खुशियों के लिए
ये कहां से कहां ले आया
ये खुशी है कि ना जाने क्यों
छूकर गुजर जाती है-
बदलते जमाने के साथ चलना पड़ेगा
खुद के घर को खुद से जलना पड़ेगा
सब कुछ लुटा कर जीवन बच भी गई तो
मन में रोना मन में हंसना पड़ेगा
आस्तिक हो कर भी नास्तिक के नाम के साथ
कदम दर कदम पर साथ चलना पड़ेगा
बदलते जमाने.......भले मन में उजाला हो
पर अंधियारों में जीवन बिताना पड़ेगा।।
यहां सच बोलने की सज़ा सुनाई जाती है
गैर तो छोड़ो अपनो से भी।।-
हसिये और हस्ते रहिए
मुस्किरिए और मुस्कुरा कर कहिए
हो सके तो हाथ उठा कर
,जोड़ कर कहिए
भले ही वक्त और
श्रम अलग हो
हालात और दिहाड़ी अलग क्यों ना हो
कभी अपने कभी गैंरो के लिए ही सही
मंज़िल अपनी सोच अपनी अपनी हो
पर जीना ही मजदूरी है
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लिखे क्या
सभी की अपनी अपनी दुनिया है अपना अपना जीवन है
कोई बता कर जाता है, कोई जाकर बताता है
कोई आकर बताता है ,कोई बता कर आता है
कल की परिस्थितियों को
आज के सुविधाओ से क्या तोला जाए
क्यूंकि कल विचारो का संगम था
आज विचारो में मत भेद है।।
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