(Aman Mishra)
4 Followers · 5 Following

जमीन कही है,आसमां कही है
जिस जिस को मैंने देखा वो सही है 😊
Joined 13 May 2020


जमीन कही है,आसमां कही है
जिस जिस को मैंने देखा वो सही है 😊
Joined 13 May 2020
9 DEC 2021 AT 0:37

तीर के जैसी बोली जिसकी,टकराता वो अंधेरी रात से,
दुश्मन जिसकी आहट से,कांपते रहते हर बात से,
तन मन धन समर्पित कर वो,बढ़ा के अपना मान गया,
खून का हर एक कतरा-कतरा,भारत तुझे कुर्बान गया,

#unrecoverable loss.... जनरल विपिन रावत अमर रहें 🙏.. विनम्र श्रद्धांजलि 🙏

जय हिंद की सेना ❤️

-


25 AUG 2021 AT 23:17

झूठी बस्ती से निकल हक़ीक़त की तलाश में था,
सीना चीर के निकला था खंजर,जीने की आस में था,
कई हसीन लम्हें थे उस लाल पानी के बूँदों के साथ,
शराब छोड़ने का वादा था और मैखाना ही पास में था,

-


21 JUN 2021 AT 11:01

खिलौने,मिठाई,एक गुड़िया,वो सब लाया था मेले से,
अपना ठेला बेच कर,वो सब लाया उस ठेले से,
ख़ुशियाँ,ख्वाब,जरूरतें पूरा करने को उसने ठानी थी,
जेठ की दोपहरी को भी,बसंत हवाएं मानी थी,

टूटा,बिखरा,जकड़ा हुआ था,न जाने कैसे मुस्कराता था,
खून,पसीने के मेहनत से,दो वक्त की रोटी खाता था|

-


6 JUN 2021 AT 21:47

कुछ मोतियाँ बिखरी थी चौखट पर,वो फिर से उन्हें पिरोने लगा,
मैखाने से लौटा था अभी-अभी,वो फिर से शराब पीने लगा,

-


25 MAY 2021 AT 9:34

शिकायतों के बाजार में शिकायतें लेकर पहुँचें थे हम,
नीले अम्बर पर खड़े होकर पर्वतों से कहीं ऊँचे थे हम,
एक तूफ़ान सी आई थी,हमें झकझोर कर गिराने को,
बनावटी चेहरों की कश्तियों से खुद को डुबोते थे हम

-


9 MAY 2021 AT 23:28

रख कर ताख़ पर शिकायतों को हम दबा रहे हैं,
बनावटी चेहरों की इस दुनिया को निभा रहे हैं,
बड़ी मंजिल से देख हम पर पत्थर फेंकने वालों,
याद रखना अरमां लिए आँखों में तुम्हें जता रहे हैं,

-


1 MAY 2021 AT 15:19

कुछ नुख्स सा लगा है इन हवाओं और ज़माने में,
सब झूठे लग गए हैं अब झूठों को आज़माने में,
ये हादसों का दौर है,आँखें तुम अपनी खोल लो,
हर जरिए को अपना लो,ख़ुदा को तुम मनाने में,

-


25 APR 2021 AT 21:08

ये नन्हा गुलाब देख उसे,अब फिर से जवाब माँगता है,
गिरती उठती इस दुनिया से कहीं दूर,हिजाब माँगता है,
तकलीफ़ में है वो फिर भी,पानी छोड़ तेजाब माँगता है,
ये काँटे हमने ही तो सजाये है,वक्त है हिसाब माँगता है|

-


18 APR 2021 AT 0:14

कुछ परिंदे आए हैं छतों पर,कहीं कोई बात है क्या,
बूँदें बरस रही है हौले से,देखो तो बरसात है क्या,
शहनाई सी बज़ी है दरवाज़े पर,शादी बारात है क्या,
तुम आए हों महफ़िल में फिर से,सुकुन-ए-रात है क्या,

-


12 APR 2021 AT 13:04

कुछ फटे पन्ने मिले हैं किताबों के, जोड़ उन्हे संगीत लिख रहा हूँ,
रूठा है हर पहर मुझसे,फिर न जाने क्यूँ मैं मीत लिख रहा हूँ,
भागती दौड़ती जिंदगी से कही दूर,मैं हर पल जीत लिख रहा हूँ,
आज और कल कि चिंता छोड़,फिलहाल तो मैं अतीत लिख रहा हूँ,

-


Fetching Quotes