चलना कठिन है मगर चलना पड़ेगा दुनिया के साथ-साथ ख़ुद से भी लड़ना पड़ेगा । जो खीची गई है वर्षों से लकीर तुम्हारी सीमा की मेटने के लिए उसे कुछ तो अलग करना पड़ेगा। दिखाना है जमाने को की हम अभी जिंदा है तो वक़्त से दो-दो हाथ तो करना पड़ेगा।
नहीं है बारिसों की बूंदों का वो एहसास नही है शामो की रूहानियत में वो बात नही है दिल मे जिंदा वो जज्बात भी तो नही है मेसेज टोन पर मेरा वो बेसब्र अन्दाज नहीं है वो दौर ही अलग था क्योंकि तू आज मेरे पास नही है।
गर इरादे नेक हो तो आओ चले आओ फिर से। इस नासमझ दिल को समझा मैं लूंगा फिर से।। इस टूटे आशियाने को सजाये गे फिर से। हर लम्हे से खुशियां चुराए गे फिर से ।।
बहके से कदम संभल जाएंगे फिर से । राग दोनो दिलो के खिल जायेगे फिर से ।। किसे कहते है जीना ये बताएं गे फिर से । साथ ऐसे चलेंगे न बिछड़ेगे फिर से।।
क्यू बढ़े चले जा रहे है उस छोर तक जंहा से लौट आना मुमकिन न होगा । डर अभी भी होगा लेकिन आस तो बाकी होगी चलना कठिन होगा लेकिन राह तो बाकी होगी । निराशा नही अब हर तरफ उम्मीद होगी राहें बदलने से मंजिल न नाराज होगी ।।