मुझे फुर्सत कहां मैं चांद सितारा देखूं ,
तेरी गली से गुजरु तो नज़ारा देखूं ।
यूँ थोड़ी तकल्लुफ होती तेरी गली से गुजरने से ,,
तो मैं रोज मौसम सुहाना देखूं ।।
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कोई नहीं है अपना सुना था, अब मान लिया;
जिसपर यकीं था सबसे ज्यादा, आज उसे भी जान लिया!
और जो ये कहते थे कोई दिक्कत होगी तो बताना;
ख़ैर छोड़ो अब कोई नहीं आएगा!!
अगर लाख अटकलें भी आयेंगी रास्ते में;
अब तेरा भाई तनिक भी नहीं डगमगायेगा!
तू मत रो भाई;
ये भी एक वक्त है गुज़र जायेगा!!-
जंगल में सुबह जब हिरन जागता है तो सोचता है आज अगर
मैं जी जान से नहीं भागा तो मारा जाऊँगा,
और उसी सुबह एक शेर जागता है तो सोचता है आज अगर
जी जान से नहीं भागा तो भूखा मर जाऊँगा,,
शेर हो या हिरन भागना तो पड़ेगा....!-
मंज़िल आ चली उस मोड़ तक, जहां मौत भी मुखातिब नहीं!
तैरकर जाना हैं उस राह पर, जिसके आगे कोई मुसाफिर नहीं!!-
यकी करू तो कैसे,
यहां तेरे महफ़िल की खूशबू नहीं।
जवां अब भी हूं शायद,
मगर किताबें खुलती नहीं॥
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ऐ जिंदगी................
........... अब आस नहीं,
लगता है हम...........
....... तेरे इम्तिहाँ में पास नहीं!-
It's impossible to measure,
my ignorance and patience at,
the same moment like,
"Heisenberg Uncertainty Principle"
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जिस तरह पहाड़ पर चढ़ने
के लिए झुकना पड़ता है,
उसी तरह अपने मंजिल को
पाने के लिए रूकना पड़ता है॥
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