Itni chupi think nhi
ये जो तुम बचपन से अब तक
चुप हो इतनी चुप्पी ठीक नही
लेने को जो मैं कहती हूँ
पैसे घर से हक़ है हमारा
कोई भीख नहीं
और सब देख कर
भी जो चुप बैठे हो इतनी
चुप्पी ठीक नहीं
कौन गलत कौन सही
ये ज़रूरी नहीं है अभी
मेरी इच्छाये भी ज़रूरी है
क्यूं कि ज़िंदा हूँ अभी
कोई मृत जीव नहीं
और सब देख कर
भी जो चुप बैठे हो इतनी
चुप्पी ठीक नहीं
किया क्या किसने ये कब
समझ मे आएगा
जिस को तुमने दान किया
उसने ही तुम्हारा सारा
बिगड़ा काम किया
अपने पराये कि अब् भी तुमको
मिली कोइ सीख नहीं
और सब देख कर
भी जो चुप बैठे हो इतनी
चुप्पी ठीक नहीं
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