लता
फिर से हुँयी आज वो बात ,जो न करनी थी कभी याद
दिलाकर मेरे अपनो ने याद कि हुँआ था क्या-क्या तेरे साथ,
क्या कहा था सबके पास कुछ है याद,रह गयी फिर उनकी कोई बात
आज भी वो जख्म है हरे,क्यो न फिर हम डरे
आती है फिर वो बाते याद ,कैसे रो-रो के काटी थी कितनी रात
किया फिर उसने आज याद कि चल मेरे साथ
है उसके लिए खुशी की बात कि चल दू में उसके साथ
-