कुछ उदास फूलों को देखा मुस्कराते हुए
अपने अंदर गम को छुपाते हुए
ठहरा तो कुछ भी नहीं इस जहान में
सबको देखा एक-दूसरे के कंधे पर जाते हुए
गरीबी पर ही है पाबंदियां तमाम
अमीरी को देखा है बेलिबास इतराते हुए
ईमान की कीमत अब कुछ नहीं यहाँ
बेईमानी को देखा निर्झर जड़ें जमाते हुए
-