मुश्किल नहीं है जीत की राह,
ठान लें जो तू अगर...
वो मंज़िल ख़ुद चलकर आएगी,
नाप दे जो तू डगर...
जज्बों में गर जज़्बात हो,
तो जीत कहां फ़िर जाएगा...
तेरे भावनाओ के भूकंप से ,
तो पर्वत भी हिल जाएगा...
साथ सबका है अगर,
फिर को हमारा बिगाड़ पाएगा,
उस वार की भी हार होगी,
हमसे जो टकराएगा...
लगा दे अबकी बार पूरा ज़ोर,
ताकि खुशहाल रहे तेरा नगर...
मुश्किल नहीं है जीत की राह,
ठान लें जो तू अगर....— % &
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