आंँखों में चुभ रहा है ग़म, अब और छुपाया नहीं जाता,
तुझसे दूर और आंँखें हुई नम, तुझे ये दिखाई नहीं देता,
ये बोलने की बात है क्या, लगता था मुझे तू जानता है,
जबां से कह ना सकूंँ, लगता था मुझे तू पहचानता है,
मैं बोलूंँ किस अंदाज़ में, ये अब मुझे समझ न आए,
उदास हूंँ बिन तेरे मैं, ज़िंदगी में एक रंग मुझे न भाए,
मेरे प्यार में शायद कमी थी जो तुझे बता न सकी,
आंँखों में सपने बुनती गई, जो तुझे दिखा न सकी,
फरियाद है ये रब से, तू सलामत रहे जहांँ भी है अब,
तू ग़मों से महफूज़ रहे, खुश रहे, करूंँ यही दुआ रब,
ऐसा ग़म किसी को न मिले, किसी की आंँखें न हो उदास,
प्यार आंँखों और दिल में पले, रहे दिलों में सदा मिठास।।
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