गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले!!!
मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही। गुमराह तो वो हैं जो घर से निकलते ही नहीं ।।-
9 SEP 2019 AT 11:50
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले!!!
मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही। गुमराह तो वो हैं जो घर से निकलते ही नहीं ।।-