कुछ मील की दूरी तो तय कर ही सकते हैं साथ में,
बेशक पूरी जिन्दगी तो नहीं ,
लेकिन कुछ पल तो चल ही सकते हैं!
उस कुछ पल के साथ में,
जी लूँगी मैं अपनी पूरी जिंदगी ।
तुम मेरी आंखों को देखकर
मेरी खामोशी को समझना,
और मैं तुम्हारी मुस्कुराहट से
तुम्हारी चित्तवृत्ति को ।
थोड़ी दूर तो साथ चलो,
फिर तुम शामिल हो जाना
किसी और की ज़िन्दगी में।
हम भी मीरा की भाँति बन जाएंगे
किसी ओर की अर्धांगिनी।
आखिर देखे बिना भी अपने किशन को,
मीरा अधूरी तो नहीं ।
जीने के खातिर ये प्यार कोई,
इतना जरूरी तो नहीं।
लेकिन ये जब होगा तब होगा,
तब तक मंजिल तक नहीं,
थोड़ी दूर तो साथ चलो।
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वैसे ही अर्धनिर्मित है पहचान हमारी।🙃
तुम अभिलेख कोई हो प्रस्तर के
मैं उसपर उपस्थित धूल प्रिये।
कह रहे हो जैसे कोई कहानी,
जो है जानी पहचानी।
तुम्हारी लिपियाँ सहस्त्र हैं,
जिनकी पठन पद्वति अनिमेष प्रिये।
इस तरह अगर मैं तुम्हारा अध्ययन करती जाऊँगी,
तो एक रोज मैं पुरातत्वविद ही बन जाऊँगी।
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इतना लिखूंगी तुमको अपनी कलम से,
कि तुम देख नहीं पाओगे खुद को किसी और की नज़र से!🖤-
ये जो फ़ासले हैं दरमियाँ हमारे,
तू चाहना तो कर देना बीते कल की परछाईयां किनारे।
कि तुमसे तनिक भी शिकायत न हम करेगें,
कि अब सारी गलतियां और फैसले हम अपने सिर मड़ेगें!
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पैसों की तंगी बेशक हो सकती है,
पर जिसका स्वाभीमान छूता गगन है,
वो होता है गरीब।
घर बेशक उसका छोटा हो सकता है,
पर दिल जिसका बहुत बड़ा होता है,
वो होता है गरीब।
हाँथों में बेशक उसके छाला हो सकता हैं,
पर मेहनत करने से जो कभी जी नहीं चुराता है,
वो होता है गरीब।
जिजीविषा के लिए जो नित जद्दोजहद करता है
फिर भी अक़्सर दो वक़्त की रोटी नसीब न कर पाता है,
वो होता है गरीब।
खुद बेशक बेहाल हो सकता है,
पर जो अक्सर दूसरों का दर्द बांटता मिलता है,
वो होता है गरीब।
जिसके दुखों पर बेशक राजनीति होती है,
पर जिसकी माँगे पूरी हो न सकी आज तक,
वो होता है गरीब।-
तू मेरे लिए,मैं तेरे लिए हूँ कहाँ?
जैसे धरती और अम्बर का मिलना हुआ कहाँ?
तू मेरे लिए,मैं तेरे लिए हूँ कहाँ?
जैसे दिन-रैन का मिलना हुआ कहाँ?
तू मेरे लिए,मैं तेरे लिए हूँ कहाँ?
जैसे नदी और किनारे का मिलना हुआ कहाँ?
तू मेरे लिए और मैं तेरे लिए हूँ कहाँ?
जैसे शाख से टूटे पत्तों का ज़ीस्त से मिलना हुआ कहाँ?
तू मेरे लिए,मैं तेरे लिए हूँ कहाँ?
जैसे फ़िज़ा और खिज़ा का मिलना हुआ कहाँ?
तू मेरे लिए,मैं तेरे लिए हूँ कहाँ?
जैसे अधरों और नयनों का एक संग मिलना हुआ कहाँ?
तू मेरे लिए,मैं तेरे लिए हूँ कहाँ?
जैसे राधा का उसके श्याम से मिलना हुआ कहाँ?
तू मेरे लिए और मैं तेरे लिए हूँ कहाँ?
जैसे अमृता का उसके साहिर से मिलना हुआ कहाँ?
तू मेरे लिए,मैं तेरे लिए हूँ कहाँ?
जैसे ख्याब और हकीक़त का मिलना हुआ कहाँ?
🖤🖤🖤-