अश्क पलकों की जब देहलीज पर आ जाते हैं
दिल के हालात ज़माने को पता चल जाते हैं
जाने कितनों को मयस्सर होता है खाना यारों
जाने कितने बच्चे कहानी से बहल जाते हैं
जैसे हर रोज़ बदल जाता है ये मौसम प्यारे
लोग भी कुछ इस तरह हर रोज़ बदल जाते हैं
दिल ने फिर से उम्मीद ए वफ़ा करली उनसे
चोट खा कर सुना था कि लोग सँभल जाते है
इक तमन्ना कि उन्हें जी भर के देखूं ,और वो
मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं
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