Vrinda S Mishra   (Vrinda)
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Joined 18 June 2017


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3 HOURS AGO

पर फिर भी हँस रहे हैं हम,
दिखते नहीं हैं आंसू अब मेरे
छिपा के रखा है मैंने इन्हें हर सवेरे,
सिर्फ चांद और तकिए ही
मेरी हर स्पंदन से परिचित हैं,
मेरे हर गम को समेटते
वे ही तो मेरे अपने हैं।

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3 HOURS AGO

And carefully he picked up the cup
Which had touched her lips
And drank the cold coffee
That made her smile in peace.

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26 APR AT 22:44

अपने ही अक्स से आ मिले,
दिखने में कुछ मुझ सी है
बस हँसती वह बिन किसी सोच के है,
बेफिक्र है
मदमस्त भी,
आप ही आपकी सहेली है
आप ही अपनी रक्षक भी,
दिखती वह मुझ सी
किंतु मुझसे बेहतर है,
हां वह मैं ही तो हूं
वो मेरा ही तो अंश है।

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26 APR AT 22:41

A little birdie flew miles and miles
Just leave a note on her doorstep
That would make her smile.

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25 APR AT 22:44

पर भूल पाना कब आसान होता है,
आज भी वह हँसी याद आ जाती है
और बातें उसकी दिल को गुदगुदा जाती हैं,
कहकर भी हम कुछ कहते नहीं
पर स्मृतियां अक्सर बोल जाती हैं,
सच कहें तो ये दिल भी कहां
कभी कुछ भूलना चाहता है।

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25 APR AT 22:41

Fingers typing away
An assignment,
While the mind dreams
Of a cool breeze
While on vacation,
Miles apart the yearning and the realities
While she tended to her daily duties.

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24 APR AT 22:45

और इक इंसान तन्हा हो गया,
गए तुम जो मुसाफ़िर बनकर
तुम्हारे पीछे सब रूठा सा रह गया,
इक दिल तन्हा रह गया,
काश रुक पाते कुछ पल तुम और
यात्रा से ज़रूरी होता तुम्हारे लिए वह घर,
तो कहानी का अंत कुछ और होता
और दिल के घर को कोई न फिर मकान कहता।

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24 APR AT 22:41

The cold breeze intruding
From the open window
Making her soul freeze.

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23 APR AT 22:46

असमंजसों ले घेरे में हैं,
सवालों से जूझते
उत्तर की तलाश में थे,
कि तभी एक गुलाबी चुनरी
हँसते हुए वहां से निकली,
पूछने पर उसने कहा
रुके किस के लिए ज़िंदगी,
हैं उलझने तो वही सही,
पर जीने की इच्छा उससे प्रबल है
तो फिर रुके क्यों उसकी आत्मा की नदी।

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23 APR AT 22:43

A chaotic night
A soft melody dancing,
Yearning for silence.

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