12 DEC 2017 AT 16:59

चारों तरफ है शोर हवा का
फिर भी सुनाई ना दे कानों को
कुछ तेरे नाम के बदले
कैसी चाहत है ये निगाहों की जो कहती है
तुम ही आ जाओं किसी रोज़
किसी शाम के बदले।

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