तो तय रहा । अपनी शख्सियत को वापस पाना ही खुद पर विजय पाना होता है। वो शख्सियत जो विनम्र, आत्मविश्वास और साहस से भरी हो, ना की किसी अहम और अहंकार से । सफलता हमे अहंकारी बनाए या विनम्र यह हम पर ही निर्भर करता है। सफ़लता की पराकाष्ठा का स्रोत ही परवरिश हैं।।