21 JUN 2018 AT 1:37

जब सोचता हूँ उन बातों को.. हमारी मुलाकातों को तो कहीं खो जाता हूँ........
चाहे कितनी भी कोशिश करूँ तुमसे मुँह मोडने की..... कुछ पल के लिए पराया हो कर फिर से तुम्हारा हो जाता हूँ.....
हाँ मैं आज भी अकसर तन्हाई में दुनिया से छुप कर ... रो जाता हूँ......
अकसर ही माँ से झूठ बोल देता हूँ .... कि हाँ माँ टाइम से सो जाता हूँ......

- विशाल बुधिजा