Vishal Budhija   (विशाल बुधिजा)
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Joined 15 November 2017


Joined 15 November 2017
26 JAN 2021 AT 12:29

आओ हमारी गलियों में तुम्हें हिन्दुस्तान से मिलाते हैं,

जहां गणपति और ईद साथ में मनाए जाते हैं,
जहां रानी झांसी के साथ टीपू सुलतान के भी किस्से सुनाए जाते हैं।

भूखे का धर्म पूछे बिना सिख भाई जहां सबको खाना खिलाते हैं,
सिराज के विकेट लेने पर शर्मा जी भी खूब जश्न मनाते हैं।

आओ तुम्हें असली हिन्दुस्तान से मिलाते हैं,

शांति की बात चले तो गांधी और टेरेसा दोनों पढ़ाए जाते हैं,
भगवान बुद्ध और महावीर जैन के उपदेश भी सुनाए जाते हैं।

हिन्दुस्तानी वैसे नहीं जैसे मीडिया में दिखाए जाते हैं,

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई टीवी और मीडिया पर दिखाए जाते हैं,
हमारी गलियों में आ कर देखो बस हिन्दुस्तानी ही पाए जाते हैं।

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12 SEP 2020 AT 21:44

तुम,
हां तुम,
अरे तुम ही,
तुम ना प्यार हो,
सिर पे चढ़ा खुमार हो,
कानों में गूंजती कोई झंकार हो,
सूखे पड़े दिल के लिए बहार हो,
हर हफ़्ते जिसका रहता इंतजार वो इतवार हो,
इससे ज़्यादा क्या कहूं मेरी जान मेरा संसार हो।

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30 AUG 2020 AT 15:07

ये ढलता सूरज भी अपने आप में खूबसूरत है,
मानो रोज़ ही संदेसा देता हो हमें,
अगर दिन भर दुनिया को रोशन करना हो तो,
कभी कभी मेरे दोस्त रात में ढलने की ज़रूरत है।

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16 AUG 2020 AT 0:22

शुक्रिया महेंद्र सिंह धोनी, माही, 07, थाला
हां कोई आया था,
जिसने हमारी टीम को जीतना सिखाया था,
2007 में जब किसी को उम्मीद नहीं थी,
उसी ने नए चेहरों पे विश्वास दिखाया था।
भारत को वो नंबर 1 पे लाया था,
जब तक विकेट के पीछे वो था,
बैट्समैन क्रीज छोड़ने से घबराया था।
सचिन के आउट होने के बाद भी,
वो था जिसने लोगों का टीवी ऑन रखवाया था।
कैसे भूलोगे 2011 में वो आखिरी छक्का उसी ने लगाया था।
जब जब टीम हमारी मुश्किल में पड़ी थी,
उसने आकर पार लगाया था।
रांची का वो लड़का जिसने पूरी दुनिया में अपना डंका बजाया था।
छोटे शहर वालों के भी सपने पूरे होते है,
सबको ये यकीन दिलाया था।
हां कोई आया था, जिसने क्रिकेट में मेरा ध्यान लगाया था,
अपनी हर टीम में मैंने उसे ही कप्तान बनाया था।

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12 AUG 2020 AT 14:45

तुम्हारे संग जीवन रूपी इस युद्ध में,
ना हाथी ना घोड़े चाहे ना कोई महारथी हो,
विजय निश्चित है तुम्हारी बस साथ,
एक कर्ण सा मित्र और "श्री कृष्ण" सा सारथी हो।

'राधे - राधे '



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17 JUL 2020 AT 22:08

दिन भर के संघर्ष के बाद जैसे शाम में सब आराम ढूंढ़ते हैं।
हम इस जीवन रूपी सैलाब में तेरे जैसा एक कयाम ढूंढ़ते हैं।

लिखना तो और भी चाहता हूं, पर क्या करूं?

मैं आजकल जो भी लिखता हूं, लोग उसमे तेरा नाम ढूंढ़ते हैं।
ना जाने क्यों, हर कविता में तेरे लिए छुपा कोई पैगाम ढूंढ़ते हैं।

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11 JUL 2020 AT 15:33

आवाजों के जंगल में गूंजते लाखों तरानें है,
इनमें से कुछ अंजान कुछ जाने पहचाने है।
आवाजें तो बहुत सी सुन्दर हैं जहां में, पर हम एक तुम्हारी आवाज़ के दीवाने हैं,
देखो थोड़ा संभाल लेना मुझे क्योंकि, इस नए ज़माने में भी हमारे अंदाज़-ए-मुहब्बत थोड़े पुराने हैं।

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18 JUN 2020 AT 1:18

ये जो तुम्हारा ख्वाबों में आना जाना लगा रहता है,
इसी वजह से तो हमारा चेहरा नींद में भी खिला रहता है।



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14 JUN 2020 AT 22:47

बोलना ज़रूरी है

मन में कोई बात हो जो चुभ रही दिन रात हो उसे बोलना ज़रूरी है।
कोई तो अजीज़ हो जो दिल के तुम्हारे करीब हो, कुछ करने से पहले उसके बारे में सोचना ज़रूरी है।
माना मुश्किल ये काम है, इतना नहीं आसान है, पर अपने अंदर के गुबार को निकालना ज़रूरी है।
तुम दिल को अपने खोल दो जो कहना है वो बोल दो, किसी और के लिए नहीं पर ये तुम्हारे लिए ज़रूरी है।
माना कुछ तुम्हारी मजबूरी है, जो तुमने बना ली सबसे दूरी है, भले अकेले ही जियो लेकिन जीना ज़रूरी है।
हां मेरे दोस्त मन में कोई बात हो जो चुभ रही दिन रात हो उस बोलना ज़रूरी है।

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27 MAY 2020 AT 23:01

हमारे लिए ख़ास है, वैसे बात तो बड़ी आम हुई है।

उलझे थे हम अपने दिन और रात में, तुमसे मिलने के बाद ही तो शाम हुई है।।



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