Vinay G Chaubey   (विनय चतुर्वेदी)
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Joined 10 September 2017


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Joined 10 September 2017
20 APR AT 1:56

ना जाने भूल कर इक शख्स को कैसे बदल जाते है लोग 
मुझे तो इक कमरा भी बदलने में ज़माना लगता हैं

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2 APR AT 1:14

जहा फिर लौट हो आना इक उम्र ढ़लने के बाद
अब वो घर छोड़े नही जाते,दर-बदर होने के बाद

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14 FEB AT 11:04

कब बुझी है प्यास सहराओं की
शबनम के इक कतरा से,
और बहारें भी लौट कहा आती है
कुछ रेत के यूँही हरे हो जाने से
~ विनय चतुर्वेदी

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6 NOV 2022 AT 1:41

दोस्त ! जब बात सचाई और ईमानदारी की हो तो
संस्कार और शिष्टाचार भी थोड़ी देर ताख पे रख देनी चाहिए।

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5 NOV 2022 AT 3:11

हो गर तुझे कल की खबर तो जरा मुझे भी बताना
मुझसे तो मेरे आज ही कमबख्त समझ के परे है

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4 NOV 2022 AT 3:57

कुछ रिश्ते छूटे बरसो पहले
कुछ छूट रहे हर पल से है

किसको रोकू किसको छोड़ूं
दिल में यही हलचल से है

क्या करू अब किससे कहूं
बस बात यही गम के है

सच यही है सुनो यार मेरे
मन खुद ही है परेशान मेरे

काम धाम के चक्कर में बस
जिंदगी मेरे अब अधम से है

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27 OCT 2022 AT 1:26

तुम्हे गर 'रात' लिखूं तो क्या होगा
सुबह के समझ से ना समझ हू मैं

कहना सुनना तो बस कुछ क्षण का है
जो मन कह ना सके वो असहज हू मैं

तुमको भी गर कुछ कहना हो तो
कहना वही तुम जो मन कहता है

माना नैन की बातें जो नैन पढ़े है
अब मेरे नैन भी वही पढ़ता है

इक बात मुझे दो तुम इतना बता
ये अधर तुम्हारे क्यो बेवक्त खिलता हैं

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19 OCT 2022 AT 0:28

कुछ खुशी छूट गई मेरी जिंदगानी में
आख़िर थक जो गए थे वो मेरे रायगानी में

जो कहा वो किया सिवा वफ़ा के
क्या ही मज़ा है आख़िर बदजुबानी में

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27 SEP 2022 AT 23:06

अब शहर के शाम बड़े आम से लगते है

ना अब होती है पहले सी भीड़ दुर्गा पूजा के मेले में
इनसे कही ज्यादा लोग तो अब जाम में लगते है

जिसे मिलो उनके चेहरे पे अलग अलग किश्ते चिपकी है
अब हसी अधरो पे इनके मालूम परेशान सी लगती है

यहा सूरज चांद भी अब न दिन रात बताती है
कलाई में बंधी पट्टी अब हर काल बताती है

जीने के लिए जीना है या जीना है जीने के लिए
बस यही उत्तर छोड़ जिंदगी हर बात बताती है

गांव में रहने वाले अब बड़े खास से लगते है
अब शहर के शाम बड़े आम से लगते है

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15 SEP 2022 AT 13:12

अच्छा बोलने के लिए अच्छी भाषा की नही बल्कि अच्छे मन और भाव की जरूरत है।
भाषा सिर्फ माध्यम है भावनाओ को व्यक्त करने के लिए और ये भावनाएं मन और दिल से उत्पन्न होती है। दिल और मन का अच्छा होना ज्यादा जरूरी है।

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