Vikash Kumar   (Vik Aash)
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अब आए हो तो ठहर जाओ ❤️
Joined 17 December 2017


अब आए हो तो ठहर जाओ ❤️
Joined 17 December 2017
16 NOV 2022 AT 8:15

अनजान रास्ते पर मिले थे,
सुकून का तोहफा दे गए...

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9 NOV 2022 AT 21:51

तुमको लिखना,
तुमको पढ़ना,
अच्छा लगता था,
धूल जम सा गया है,
यादों के पन्नों पे,
लिखावट पढ़ने में नहीं आती अब..

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1 MAY 2022 AT 15:21

उस रास्ते को सजदा आज भी करते हैं,
तुमने थामा था जहाँ हाथ मेरा,
साथ अधूरा सही प्यार हमारा मुक्कमल है,
हाँ मोहब्बत आज भी करते हैं।

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23 APR 2022 AT 16:02

सब कुबूल था हमे इश्क़ में
फिर उसने मेरा मजहब पूछ लिया..!

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5 MAR 2022 AT 8:48

मर्यादा में रहना भी सिखाती है,
प्रेम सच्चा हो तो, कोई दूसरा अच्छा नहीं लगता।

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26 FEB 2022 AT 12:20

हमारा साथ अधूरा सही,
तुम कहो
तो यादें मुक्कमल करूँ!

तुम दोस्त ही बेहतर थे,
तुमसे दोस्ती करूं
पर इश्क़ नहीं!

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26 FEB 2022 AT 12:11

तुम बारिश हो,
खिड़की से निहारूं,
या थोड़ा भीग लूँ!

मुख्तसर सपना हो,
पूरा करू,
या भुला दूँ!

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24 FEB 2022 AT 9:05

Body was the need,
Love was ashamed.

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25 JUN 2021 AT 12:01

फूल नहीं आज काँटा लिखा है
प्यार नहीं प्यार का अंत लिखा है
तुम्हें उसके साथ हँसते देखा था मैंने
इसलिए मैंने आखरी खत लिखा है

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15 JUN 2021 AT 10:10

वो चाँद है जनाब
बदलाव उसका स्वभाव है
कभी पूर्णिमा तो कभी अमावस्या!

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