यूं ही अगर तुम टूटे रहोगे
खुद ही खुद से रूठे रहोगे
सच कहके भी झूठे रहोगे
कब तक यूं तुम लुटे रहोगे?
खाली है,खाली ही था,खाली रहने दो।।
तुम ही तो सच हो, दुनिया का क्या है,
जाली रहने दो।।
क्यूं लगता है ?किसी ने किया?तुम्हारा भी तो हिस्सा है,
झूठ नहीं है, अगर तुम्हारा किस्सा है।
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Student,
Deep thinker,
Nature lover,
spiritually blessed,
Fond of reading books,
W... read more
जबसे मैं खुद से दूर हुआ हूं,
हर क्षण ना जीने को मजबूर हुआ हूं...
अब खुद को खुद में मुझे पाना है,
बुलंदियों की ओर इशारा है मेरा...
मुझे अनंत को छू कर आना है...-
बुलंदियों से उतर कर मैंने किसका चेहरा नहीं देखा...
नहीं देखा तो बस एक अपना चेहरा नहीं देखा...
जिंदगी जीना भी चाहता था मगर ,
चारों ओर वबाओं में, एक उसका चेहरा नहीं देखा...
अब यहां तक ढाल लाया मैं खुद को,
कि देखा हो तो भी कोई चेहरा नहीं देखा...
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ढूंढने निकल तो जाऊँ कि कहीं दर्द की दवा पता चले.....
मसला ये है मगर, कि घाव की जगह तो पता चले....
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ये जो दर्द कहीं हो रहा है...
कुछ तो है जरूर अंदर जो रो रहा है...
उस खुदा के नाम पे बड़ा हल्ला है दुनिया में,
शायद है ही नहीं कहीं,
और अगर है तो एक अर्से से सो रहा है....-
इस कदर उसके गम से मेरी हुई रिहाई...
बस एक चाय पी और सिगरेट सुलगाई....
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जाने क्यूँ फ़नाह मैं अपने सात साल कर आया...
ऐसी भी कुछ थी नहीं वो, जो मैं अपना ये हाल कर आया....
मेरी बेगैरती की इन्तिहां तो देखो यारो,
एक बस उसकी यादों के साथ रहने के लिये,
मैं माँ मेरी को छोड़ अकेली घर आया....-
लिखूँगा किसी दिन इश्क की दास्ताँ मेरी,
बेशक डालनी पड़ो गहरे कुएं में...
हाल खुद का कुछ ऐसा कर लिया हमने,.
मेरी आँख तक जल गयी सिगरेट के धुएँ में ....-
फ़सलों की हरियाली में, जब बैर पनपता आपस में,
तब है गाँव रुला देता मुझको...
चारों ओर नदी का पानी, बीच पड़े पत्थर पे सुखी घास दिखाकर,
है पहाड़ रुला देता मुझको...
लाखों से है बेशक राबता मेरा,नहीं पर किसी से वास्ता मेरा,
बस उसका एक एहसास रुला देता मुझको......
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खुद को खुद में भरते भरते, खर्ची है एक उम्र मैंने,
लाख किए हैं वादे खुद से,
अब खुद ही खुद में मरते मरते,खर्ची है एक उम्र मैंने...
थमीं सी सांसे, रुका सा जीवन,
एकांत में आहें भरते भरते, खर्ची है एक उम्र मैंने...
आठों पहर मैं भाग रहा हूँ,
अपना पीछा करते करते, खर्ची है एक उम्र मैंने...
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