लंका जब थर थर काँपा था
कुम्भकर्ण भी नींद से जागा था,
यहाँ भी तूफाँ आया है,
भारत भी थर थर काँपेगा,
पर यहाँ का कुम्भकर्ण सोया है,
न जाने कब तक जागेगा।-
Writer by passion...
सोच तब तक सिर्फ सोच है, जब तक सिर्फ सोच में है...
उ... read more
बिन कहे वो मेरी हर बात जान लेता है,
सही हो या गलत, हर बात मान लेता है,
किसी भी रिश्ते में मेरे यार सी बात कहाँ,
बारिश में भी वो मेरे अश्क़ पहचान लेता है।-
ज़रा थम जा ए हवा
कि शायद इश्क़ होने को है,
सम्भाले हुए था दिल जो,
अब शायद खोने को है,
गरजना बन्द कर ए बादल,
उनसे मुलाकात करनी है,
वो क्या है न, कि आँखे मेरी
अब शायद सोने को है।
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पानी सर के पार हुआ, उद्धार कीजिए प्रभु,
भक्तों का अपने अब, बेड़ा पार कीजिए प्रभु,
राम, किसन, विश्णु, नरसिंह, वाम
लेकर कोई अवतार अब प्रहार कीजिए प्रभु।
बीच भवर अटक गए हैं, पार कीजिए प्रभु,
अस्त्र, शस्त्र सब लेके अपने, वार कीजिए प्रभु,
दानव रूपी कोविड का, अहम चरम पे है,
आकर धरती पर उसका संहार कीजिए प्रभु।-
दूर दूर तक फैले उस मौन धरे अंधियारे से,
उसकी गली को जाते उस इतराते गलियारे से,
पूछ रहा है दिल, क्या मिल जाएगी वो मुझको,
गर माँग लूँगा मैं उसको, टूटते हुए उस तारे से...-
इक वो थी जो हमसे कभी वफ़ा न कर सकी,
इक हमारी कलम जो उससे कभी दगा न कर सकी,
दिल खोल कर अपनाया हमे सभी परायों ने,
इक वो थी जो सगी होकर भी हमें सगा न कर सकी।-
शिव शंकर शंभु सब तेरे ही तो नाम है,
जीवन हो या मृत्यु, सब तेरे ही तो काम है,
सारा जग पूजता है वैसे तो मेरे राम को,
पर तेरी अर्चना में बैठे, स्वयं प्रभु श्री राम है।-
करने को तो कर दूं, वादे चाँद सितारों के
गुल-ए-गुलशन के, फूलों के, बहारों के,
खुशी हो या ग़म, मुझे पास पाओगी,
वादा नहीं करता मैं केवल, हसीं नज़ारों के।-
सुना है, दर्द बहुत है दिल में उसके,
वो कुछ कहना चाहती है,
छोड़ के मुझको हाल में मेरे,
वो खुश रहना चाहती है,
बहुत हुआ ये रोना धोना,
बहुत हुआ ये मेरा होना,
तोड़ के सारे बांध के बंधन,
वो बस बहना चाहती है।-