कुदरत सुक़ून मिलता है कभी कभी दूर जाने में ,कुदरत के और पास आने में,बारिशें इस कदर बरसी की निखार बढ़ता चला गया,उस कुदरत का देखो नया रूप निखारता चला गया। - Jaykar
कुदरत सुक़ून मिलता है कभी कभी दूर जाने में ,कुदरत के और पास आने में,बारिशें इस कदर बरसी की निखार बढ़ता चला गया,उस कुदरत का देखो नया रूप निखारता चला गया।
- Jaykar