एक धागा ही टूटा है
एक सपना ही रूठा है
ऐ ज़िन्दगी तेरा साथ तो नहीं छूटा है
हवाऐं आज भी वही हैं
हौले से आज भी ये बालों को सहला जाती हैं
ये मौसम भले बदले
पर नज़ारे तो आज भी वहीं हैं
हाथ थाम कर चलो तो ज़िन्दगी
एक दिन इस सपने को भी माना लेंगे
ये धागे भी शायद गांठ लगा कर जुड़ जाएं
पर अब दिल नहीं करता
शायद कुछ धागे टूटने के लिए ही जुड़ते हैं!!!- Chitravansh_vidisha
19 APR 2020 AT 23:32