समानता समाज में अत्यधिक आकर्षक और मादक अनुभूति है। फिर वह चाहे आर्थिक समानता हो, सामाजिक समानता हो या फिर राजनीतिक समानता। निम्न वर्ग, उच्च वर्ग के द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं, सुविधाओं, और प्रथाओं का अनुसरण करके जो तृप्ति प्राप्त करता है और उच्च वर्ग अपने से नीचे वाले वर्गों की बातें करके, उन के कल्याणार्थ कार्य करके अथवा कुछ दिन उनके जैसा जीवन जी करके जिस संतोष को अर्जित करता हैं, वह समानता की ही संतति है। समानता लाने की इच्छा ही इस संसार में असमानता का सृजन करती है।
- Ajay Pandey 'Vidhayak'