From “hide and seek” to “hide and see”.
We all grew up !-
Flash fiction 🖤
What you are doing, who cares ?
Why you are doing, who cares ?
If you get them results, it’s ok..
If you failed, who cares ?-
क्या है, कितना है, कितना मिलना अभी बाकी है…
जो है, अच्छा है, जितना है काफी है…-
सपने दिखाती है जीत की ख़्वाहिश,
नशे सी चढ़ जाती है जीत कि ख़्वाहिश ।
ऊर्जा का संचार है जीत की ख़्वाहिश,
निरंतरता का प्रचार है जीत की ख़्वाहिश ।
यातनाओं का निर्वाण है जीत की ख़्वाहिश,
उल्लास का प्रमाण है जीत की ख़्वाहिश ।
चंचल मन को समझाती है जीत की ख़्वाहिश,
बेजान शरीर को जगाती है जीत की ख़्वाहिश ।
मेहनत जरुर कराती है जीत कि ख़्वाहिश,
आगे सफल भी तो बनाती है जीत कि ख़्वाहिश ।
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कौन हूँ मैं,
मैं लेखक तो नहीं फिर भी लिखता हूँ
शब्दों में ही सही, कहीं तो दिखता हूँ ।
मैं गायक तो नहीं फिर भी गाता हूँ
लोरी ही सही, कुछ तो सुनाता हूँ ।
मैं अध्यापक तो नहीं फिर भी पढ़ाता हूँ
खुद को ही सही, कुछ तो सिखाता हूँ ।
मैं वकील तो नहीं फिर भी वकालत करता हूँ
क़िस्मत से ही सही, किसी से तो लड़ता हूँ ।
मैं समझदार तो नहीं फिर भी समझाता हूँ
कुछ ऐसी ही कहानियाँ सुनाकर, यूँ ही चुप हो जाता हूँ ।-