प्रेम से बनती है जिंदगी
प्रेम की बिसात पर शतरंज की बाजी क्यों
प्रेम से चलती है जिंदगी
प्रेम की उंगली पकड़कर छल करता क्यों
प्रेम से छलकती है जिंदगी
प्रेम के नाम पर नाटक और दिखावा क्यों
प्रेम से बड़ा तो प्रेम का नाम भी नहीं
प्रेम की आँखों से बहती ऑंसू की धार क्यों
प्रेम ही है सबको जोड़ने वाली कड़ी
प्रेम की राह में बेवफाई का नाम ही क्यों
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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