मैं आसमान को जाकता हु जमीन पर पेर रखकर।
मैं आसमान में उड़ना चाहूं,जमीन पर वापिस आने के लिए।
मैं पानी मे डुबकी लगानी चाहू,किनारे पर वापिस आने के लिए।
क्योंकि मुजे पता है जमीन के अलावा मैं कही पर घोसला नहीं बना सकता।
रिश्तों को भी इस नजरिए से देखा जाए।- Vandemataram
28 NOV 2020 AT 13:29