भ्रष्टाचार :एक दूषित विचार
कहानी क्या कहूँ इस देश के भ्रष्टाचार की,
ये तो उत्पत्ति है, प्रलोभन के दूषित विचार की।
कहानी क्या कहूँ, इस अंधकार स्वरूप अत्याचार की,
जिसके दर्पण से झलकते हैं,
अश्रु गरीब और लाचार की।
क्या कहूँ कहानी इस भ्रष्टाचार रूपी कुविचार की,
जिसमें भावनाएँ तार - तार होतीं हैं,
मानवता रूपी सुविचार की।।
- ✍️ © Vaibhav Gupta
20 DEC 2018 AT 0:47