आज बरसों बाद मिलने पर पूछा उसने मुझसे-
यह क्या तलब लग गयी है तुम्हे सिगरेट की जो तुम दिन भर खुद को सुलगाते रहते हो, ऐसी आदतें पहले तो न थी....
- अकेला यूं मुझे तुम छोड़कर जबसे गयी साथी
तुम्हारी याद और सिगरेट का तबसे सहारा है,
तुम्हारी याद में सिगरेट हूं सुलगा लिया करता
मेरी आदत थी पहले तुम अभी सिगरेट यारा है।-
ग़ज़ब बीमारी बनाई है उस रब ने,
अजब सा इश्क़ है मुझे उससे,
जब भी जरूरत होती है उसे किसी की,
उसने हमेशा मुझे अपने साथ पाया है...
पर जब भी जरूरत होती है मुझे उसकी,
मैंने कभी उसे संग नहीं पाया है...
वो दुनिया की हर चीज चुनती है मेरे ऊपर,
और मैं सिर्फ उसे चुनता हूँ दुनिया के ऊपर...
हाँ, फिर भी बेइंतिहा मोहब्बत है मुझे उससे,
और ताउम्र रहेगी....— % &-
नफ़रत थी मुझे उस कॉफ़ी के कप से भी,
जिसे वो अपने लबों पर लगा कर कॉफ़ी पिया करती थी...
तो अब तुम ही बताओ मुर्शिद,
के कितनी नफ़रत होगी मुझे उस इंसान से जिसके साथ है वो अब...— % &-
आजकल के डिजिटल प्यार वाली दुनिया में मैंने
ऑफलाइन - ऑनलाइन - टाइपिंग से
ऑफलाइन - ऑनलाइन - ऑफलाइन तक का सफर तय किया है।— % &-
समय का चक्र भी अजीब है
एक समय पर उसे इस बात से परेशानी थी कि मुझे उसकी हर बात बात से भी फ़र्क़ पड़ता था,
और एक समय अब है जब उसे इस बात से परेशानी है कि मुझे उसकी किसी बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता— % &-
आज बरसों बाद अलस सुब्ह मेरी घबराहट के साथ नींद खुली,
शायद उसने मुझे दिल से पुकारा होगा,
शायद उसने मुझे एक दफा फिर याद किया होगा....— % &-
अक्सर पूछा करते है लोग मुझसे-
के तुम यह शायर कैसे बन गए?
अब क्या बताएं जनाब उन्हें-
के जब से गयी है वो मुझे छोड़ कर,
फुर्सत ही फुर्सत में रहता हूँ मैं,
और इन्ही फुरसत के क्षणों में,
अपने जज्बातों को अल्फ़ाज़ों में पिरोकर,
मेरे इश्क़ को अमर करने की कोशिश करता हूँ मैं...— % &-
इश्क़ ने इस तरह बेबस किया मुझे...
जनता हूँ मेरी किसी भी बात की कोई बकत नहीं,
पर फिर भी बार बार बेशर्मों जैसे कहता हूँ मैं,
हाँ, पूरे समय उसकी परवाह करता हूँ मैं।— % &-
कितनी आसानी से कह दिया उसने -
के तुम्हारा हमें हमेशा चिढ़ाना हमें करीब ले आया...
अब उसने कहा है तो सच में ऐसा ही हुआ होगा ...
लेकिन मैंने भी तो किए थे उसके प्रति मेरे जज़्बात बयां समय समय पर,
मैंने भी तो उसके लिए हर मुमकिन कोशिश करी थी,
मैंने भी तो उसकी खुशी सबसे ऊपर रखी थी,
बता दे मुझे के क्यों उनका उस पर कोई असर नहीं हुआ,
क्यों उसे कभी मेरे एहसास महसूस नहीं हुए?
रह गई होगी कमी शायद मेरे ही प्यार में,
हां, रह गई होगी कमी शायद मेरे ही प्रयासों में.....— % &-