आयुर्वेद चूर्ण प्रकरण- 12 दाडिमाष्टक चूर्ण
दाडिमाष्टक चूर्ण (Dadimashtaka Churna) के सेवन से आमातिसार (Diarrhoea), खांसी, ह्रदय और पार्श्वशूल, ह्रदय रोग, गुल्म (Abdominal Lump), ग्रहणी और मंदाग्नि का नाश होता है।
दाडिमाष्टक चूर्ण पाचक, दीपक, आम (अपक्व अन्न रस) पाचक, रुचिकर, आक्षेपनाशक, वातानुलोमक (वायु की गति नीचे की तरफ करने वाला) और अंत्र (Intestine) दौर्बल्य नाशक है। इसके सेवन से पुराना अजीर्ण नष्ट होता है। अंत्र की शिथिलता नष्ट होती है। अग्नि प्रदीप्त होती है। 2-2, 4-4 दिन पश्चात होनेवाले आमसंग्रह के कारण अतिसार और प्रवाहिका इसके सेवन से नष्ट होते है।यह चूर्ण बहुत ही स्वादिष्ट होता है
उत्तम जैन - प्राकृतिक चिकित्सक-8460783401
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संस्थापक संपादक - जैन वाणी
अध्यक्ष - महावीर चरिटेबल ट्रस्ट
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विनय आयुर्वेदा - स्वास्थ्य टिप्स
अंजीर के फायदे -- www.vinayayurveda.com-
आयुर्वेद अनुभूत चूर्ण -11- ऋषि योग
मेथीदाना, अजवाइन और काली जीरी को लगभग 250 ग्राम, 100 ग्राम और 50 ग्राम के अनुपात में मिलाकर, हल्का-सा सेक लें और फिर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन रात को सोते समय गर्म पानी के साथ लेने से आपकी कई तरह की समस्याएं दूर हो सकती हैं। यही नहीं इसके कई और भी फायदे हैं, जो आपको पूरी तरह से स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध होते हैं मेथीदाना और अजवाइन के गुणों का लाभ उठाने के लिए इनकी मात्रा का अनुपात सही होना बेहद आवश्यक है, ताकि इससे होने वाले स्वास्थ्यवर्धक लाभ में कोई कमी न हो। इसके सेवन से शरीर में रक्त का परिसंचरण तीव्र होता है। ह्नदय रोग से बचाव होता है तथा कोलेस्ट्रोल घटता है।पुरानी कब्जी से होेने वाले रोग दूर होते है। पाचन शक्ति बढ़ती है।गठिया वात हमेशा के लिए समाप्त होती है इससे मधुमेह में अप्रत्याशित लाभ होता है
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शुध्द आयुर्वेदक-कोरोना का काढ़ा
१.मुलेठी-१०० ग्राम
२.बहेड़ा- ५० ग्राम
३.तुलसी पत्ता -५० ग्राम
५.दालचीनी -२५ ग्राम
५.काली मिर्च- २५ग्राम
६.लॉन्ग- २५ग्राम
७. सोंठ- २५ ग्राम
८.गिलोय- १५०ग्राम
०९.अश्वगंधा- २५ ग्राम
१०.छोटी इलायची- १०ग्राम
११.पीपल- २५ ग्राम
१२.कालमेघ- २५ ग्राम
१३.पुनर्नवा- ५० ग्राम
१४.पपीता पत्ता- ५० ग्राम
15. अर्जुन छाल- ५० ग्राम
सबको दर दरा (यवकूट) कर ले
🍷 सुबह शाम २ कप पानी मे ३ ग्राम काढ़ा उबाले १ कप रह जाए उसे छानकर पी लें
सज्जन राज मेहता-
आयुर्वेद चूर्ण प्रकरण- 10 (शास्त्रोक्त ) पंचकोल चूर्ण
आहार-विहार में अनियमितता, स्वादवश अपथ्य पदार्थों का सेवन तथा पथ्य पदार्थों का अति सेवन- इन तीनों कारणों से आज कल उदर रोग, यकृत की खराबी व कमज़ोरी और इन अंगों से सम्बन्धित व्याधियां व्यापक रूप से फैली हुई पाई जा रही हैं। इन व्याधियों को नष्ट करने वाले एक आयुर्वेदिक योग पंचकोल चूर्ण है
पंचकोल चूर्ण के घटक-
पीपल , पीपलामूल,चव्य, चित्रक, सोंठ पांच द्रव्यों के योग को पंचकोल कहते हैं। इस योग में पांच द्रव्यों को समान मात्रा में लेकर कपड़छन महीन चूर्ण कर के मिलाया जाता है।
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इम्युनिकेयर चूर्ण - अनुभूत चूर्ण - 9
इम्युनिकेयर स्वयं अनुभूत एक ऐसा चूर्ण है जिसे हर रोगी व निरोगी व्यक्ति ले सकता है यह शरीर के सो से अधिक रोगों में कार्य करता है स्वास्थ्य हित के लिए इसे घर पर बनाने के सभी घटक बता रहा हु अजवाइन 50ग्राम , ब्रहम मंडूकी 15 ग्राम , तुलसी 15 ग्राम , कलौंजी 5 ग्राम , हरड़ 5 ग्राम, मुलेठी 5 ग्राम, गिलोय 5 ग्राम , हल्दी 3 ग्राम इन सभी को दरदरा पीस ले और खाने के बाद सुबह या रात्रि किसी एक समय 5 ग्राम कांच के गिलास में डालकर गुनगुना पानी डालें धीरे धीरे पानी पी ले और सभी जड़ीबूटी को निगल ले
यह चूर्ण एक अमृत समान है इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता के साथ मोटापा , लिवर से जुड़े रोग , पाचन, ह्रदय , वायरल इंफेक्शन, थायरोड, रक्तचाप व अनेक 100 रोगों में फायदा होगा बच्चे व गर्भवती स्त्री सेवन न करे
मेने अनेक रोगी निरोगी लोगो को खाने की सलाह दी 30 दिन में अप्रत्याशित लाभ हुआ है आप जरूर उपयोग करे
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आयुर्वेद चूर्ण प्रकरण- 8 -हिंग्वाष्टक चूर्ण
अनियमित एवं अनुचित आहार-विहार के कारण जो व्याधियां पैदा हो कर शरीर को रोगी बना देती हैं उनमें से एक व्याधि है अपच यानी मन्दाग्नि होना जिससे खाया हुआ ठीक से पचता नहीं और जब ठीक से पचता नहीं तो भूख भी नहीं लगती जिसका परिणाम होता है शारीरिक कमज़ोरी, दुबलापन, कब्ज, गैस जैसी शिकायतें पैदा होना। इन व्याधियों को दूर करने वाले एक उत्तम आयुर्वेदिक योग है हिंग्वष्टक चूर्ण घटक- सोंठ -10 ग्राम , पीपल 10 ग्राम ,काली मिर्च -10 ग्राम ,अजवायन -10 ग्राम सेन्धा नमक -10 ग्राम जीरा -10 ग्राम काला जीरा-10 ग्राम हीरा हींग -2 ग्राम
उपयोग- आधा चम्मच (3 ग्राम) चूर्ण कुनकुने गर्म पानी के साथ लेने से वायु के प्रकोप (गैस ट्रबल) का तुरन्त शमन हो जाता है। दूसरी विधि यह है कि एक चम्मच (6 ग्राम) चूर्ण थोड़े से घी में मिला कर भोजन की थाली में रख लें। भोजन शुरू करते समय शुरू के 5-6 कौर में इस चूर्ण को खा लें फिर शेष भोजन करें।
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माइग्रेन का आयुर्वेदिक उपचार--
अलसी चूर्ण 200 ग्राम
तुलसी पत्ते चूर्ण 100 ग्राम
दालचीनी 50 ग्राम
सौंठ 50 ग्राम
मुलहठी 50 ग्राम
बादाम 50 ग्राम
सभी को चूर्ण बनाकर एक चम्मच सुबह शाम या 3 बार दुध के साथ दो ।-
पंचसकार चूर्ण हर्बल पाउडर के रूप में एक आयुर्वेदिक दवा है यह कब्ज के उपचार में प्रयोग किया जाता है यह दवा सबसे अधिक उत्तर भारतीय आयुर्वेदिक व्यवहार में प्रयोग किया जाता है इसे पंचसकार नाम दिया गया है क्योंकि इसके सभी पांच सामग्री उत्पाद का शुरू का अक्षर 'सा' है। यह पेट में कब्ज और इसके साथ जुड़े जटिलताओं जैसे सिर मे दर्द, पेट मे भारीपन, गैसों आदि के लिए यह शानदार उपाय है तथा पाचन तंत्र कार्यविधि को बढ़ाने मे मदद करता है।
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