बड़ा ही क़ीमती है जी,
किसी और को ये खजाना देकर...
मैं खुद कंगाल नहीं होना चाहती हूं जी-
Uma Vaishnav
(Uma Vaishnav)
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Joined 28 February 2018
8 DEC 2022 AT 10:54
7 DEC 2022 AT 21:05
बहुत पछतावा होता है।
काश! किसी पर भरोसा ना किया होता,
तो शायद जिंदगी और भी खूबसूरत होती।
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24 MAY 2022 AT 0:12
जब याद आता है कि
पेंसिल छील कर हम,
उसके कचरे को बेग में,
जमा करते थे और दोस्तों से कहते...
इससे हम रबर बनाएंगे 😊😂-
23 MAY 2022 AT 0:41
पाठक (दोहा - छंद)
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लेखक और पाठक का, सुंदर हैं सम्बंध।
पाठक मन को जीत ले,ऐसा करो प्रबंध।।
लेखन ऐसा कीजिए, हर मन को ले जीत ।
पाठक खुश हो कर पढ़े,बढ़े पठन की प्रीत।।
लेखक की ये लेखनी, भावों का आधार।
पाठक के बिन व्यर्थ है, लिखना सोच विचार।।
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16 FEB 2022 AT 8:49
तुम्हारा प्यार भरा,
हम आँखे बिछाये बैठे हैं,
दिल से दिल की बात हो जाए,
हम तुम्हें जिंदगी बना बैठे हैं — % &-