Uma Vaishnav   (Uma Vaishnav)
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Joined 28 February 2018


Joined 28 February 2018
12 SEP AT 23:45

झांकी प्रभु की देख कर, होता मन ये शांत।
ह्रदय पटल पर आप ही, बसते लक्ष्मीकांत।।

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5 SEP AT 23:12

भोर भक्ति जो भी करे, भजते जो भगवान।
उस मानव की जगत में, उच्ची होती शान ।।

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1 SEP AT 22:41

बंद नेत्र  अब  खोल  दे, जागों  हुई  प्रभात।
आलस  निंद्रा  त्याग  दे , बीत  गई  है रात।।

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29 AUG AT 22:47

सूर्य  किरण  ये  कह  रही, उठो  हुई  है  भोर ।
उम्मीदों  के  साथ  में , चले  लक्ष्य  की  ओर ।।

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24 AUG AT 18:51

जागो  जागो  श्याम जी, देखो आई भोर।
ग्वाल बाल सब उठ गए, नाच रहे हैं मोर।।

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22 AUG AT 20:53

नदियाँ  कलकल  कर रही, झरने करते शोर।
सुंदर  बेला  भोर  की, सूर्य  किरण हर ओर।।

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20 AUG AT 23:25

मंद  मंद  समीर  चले , शांति  चारो  ओर।
सूर्य  देव  अब आ गए, लेकर देखो भोर।।

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19 AUG AT 22:11

धवल किरण सूरज की, लाती है जब भोर।
पक्षी  पंख  फैला  उड़े, आसमान की ओर।।

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18 AUG AT 22:46

यहां  वहाँ  मनु  ढूंढ मत ,इधर उधर मत डोल।
श्याम मिले हर जगह पर,मन की आँखे खोल।।

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17 AUG AT 18:34

केसर  चंदन  घोल  कर , तिलक  लगाते  रोज।
मन में प्रभु जी आप हो, करे किस  की खोज।।

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