पाठक (दोहा - छंद)
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लेखक और पाठक का, सुंदर हैं सम्बंध।
पाठक मन को जीत ले,ऐसा करो प्रबंध।।
लेखन ऐसा कीजिए, हर मन को ले जीत ।
पाठक खुश हो कर पढ़े,बढ़े पठन की प्रीत।।
लेखक की ये लेखनी, भावों का आधार।
पाठक के बिन व्यर्थ है, लिखना सोच विचार।।
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