U Shanker Moudgil   (USM)
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लफ्जों को तव्वजो नहीं, खामोशियाँ जवाब तलाशती हैं।
Joined 22 May 2018


लफ्जों को तव्वजो नहीं, खामोशियाँ जवाब तलाशती हैं।
Joined 22 May 2018
1 MAY 2024 AT 18:47

Zamir ka border
Ek series hai
Hamare un
Karmon ki
Jo hum
karte hain
Zameer ko
Maar kar
Ya amanush
Ban kar ....

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27 JAN 2022 AT 23:38

विवेक शून्य
व्यक्ति।
कृतज्ञ तो
नही हो सकता।— % &

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27 JAN 2022 AT 23:32

एक दौर वो था
जब सिर्फ उसे ही
पहचानते थे।
एक दौर ये है
की पूछते हैं
पहचानते हो ?— % &

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27 JAN 2022 AT 22:30

आज का दौर ।
ज्ञान !
सब देंगे ।
और
सहयोग !
सिर्फ
अपने ।— % &

-


9 JAN 2022 AT 0:37

कोई किसी का
दिया नहीं खाता ।
सब नशीब का
खाते हैं अपना ।

अहसान न जता
अपने देने का ।
तू तो ज़रिया है
बस ऊपर वाले का ।

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25 DEC 2021 AT 22:25

कर्ज ।
एक जननी के दूध का कर्ज
एक धरती माँ की मिट्टी का।
एक भारत माता का कर्ज
और एक कर्ज़ है प्रकृति का।

चुका कोई सकता नही
कर्ज़दार सारे हैं ।

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20 DEC 2021 AT 15:10

औलाद का सुख ।

बच्चे के पैदा होने मात्र से नहीं
बल्कि उसके पितृ ऋण से जुड़े
संस्कारों के दायित्व को पूरा करने
पर ही प्राप्त होता है।

Usm

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18 DEC 2021 AT 15:09

रोटी की दौड़ में
और
पैसे की होड़ में
मेरा देश खो गया।
गरीब थक कर
और
अमीर पी कर सो गया।
USM





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18 DEC 2021 AT 11:30

कभी फक्र था जिन बातों पर
आज वो नासूर लगती हैं।
किसी को दोष न दे ए जिंदगी
तू दूर से ही हसीन लगती है।
Usm

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18 DEC 2021 AT 11:25

मैंने देना सीखा है
पेड़ों से पतवारों से।
मैंने बोना सीखा है
गंगा के किनारों से।
समतल ऊसर और
उपजाऊ
सभी धरातल मेरे हैं
मानो अबला नारी के
लिए संग फेरे हैं।
करती नही भेद भाव
कुछ ऐसी फितरत मेरी है।
धर्म जात बिरादरी की
दीवार बनाना
ये आदत आदम तेरी है।


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