Tanu Gupta   (Tanu)
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"The starlight shines brighter in the deepest night!"
Joined 25 May 2017


"The starlight shines brighter in the deepest night!"
Joined 25 May 2017
14 MAY AT 12:29

सुकून में जो ना मिले सुकून
तो क्या करोगे तुम?
बताओ, सुकून के बगैर कैसे जिओगे तुम?
सुकून में जो सुकून ना मिले तो...?
तो बैठेंगे खुलें आसमान के नीचे सितारों के संग
करेंगे बातें चांद से,
रखेंगे सर हरी घांस की ठंडी चादर पर
थपकियां देंगी हवाएं,
गुनगुनाएंगे संग में झिंगुर
कहीं दूर बजते हॉर्न की आवाज तंद्रा में जाने से रोकेगी,
जैसे रोक रहा हो कोई मौन स्पर्श मुझे
उस वर्जित सुगंध की ओर जाने से,
उंगलियों के पोर बैठेगा कोई झिंगुर
मानो याद दिलाएगा अंतर्मन में दबी,
कहीं छिपी एक हल्की सी लौ,
मेरे सुकून में जो सुकून ना मिला तो,
ढूंढेंगे सुकून को बेसुकून सी शाम में!
- तनु

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23 JAN AT 10:46


मैं अपनी खोज में भटकता रहता हूं हरदम,
सड़कों पर,
गलियारों में,
गंगा जी के घाट और समुंदर के किनारों पर,
अंतर्मन में ज्ञान का पुष्प अभी खिला नहीं है,
मुझे मेरा अस्तित्व अबतक मिला नहीं है।

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10 NOV 2024 AT 18:15


प्रिय मेरी पीड़ा में तुम हो,
प्रेम, दया, करुणा में तुम हो,
द्वंद, त्याग, विजय, पराजय,
अंतर्मन की व्यथा और निर्णय,
कालांतर की मेरी प्रतिक्षा,
मेरी इच्छा, मेरी दीक्षा,
मेरी श्वास, मेरे हृदय के स्पंदन,
मेरी प्रार्थना, मेरे विनय-निवेदन,
राग, अनुराग, विरह, परित्याग,
प्रिय तुम मेरी सब निश्चय का आधार,
मेरे कण-कण, मेरे हर क्षण,
दीनता, स्वाधीनता, कष्ट, संघर्ष,
रुदन, क्रंदन, परिहास, आनंद
स्वप्न, विचार, मृगतृष्णा, यथार्थ
क्षमा, प्रतिकार, निर्मोह, वैराग्य,
प्रिय तुम हो मेरे सर्वस्व में व्याप्त!

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4 JUL 2024 AT 14:37

तुझे इश्क अपना नजर करूं, तेरे इश्क का मैं सबर करूं
तेरी खामियों को भूल मैं, तेरी खूबियों को सजा रखूं
तुझे वफा मैं अपनी अदा करूं, ना बदले में कोई गुमां करूं
तेरी आंखों में मैं खुशियां भर, तेरे ग़म को खुद में जमा करूं
तुझे मुस्कुराहट देकर अपनी, तेरे आसूंओं का सौदा करूं
जो तू लड़खड़ाए तुझे थामू मैं, ना हक़ मैं तुझपे जताऊं तब
सब्र मेरा फिर खत्म हो जिस पल, तू मुझे इश्क कह कर बुलाना फिर
मैं तुझे नज़्म कह कर बुला सकूं, मैं ख़ुद को तुझमें समा सकूं
सब्र मेरा जब पूरा हो, तुझे इश्क कह कर बुला सकूं
तेरे इश्क पर मैं फना होऊं, मैं खुद को तुझपर मिटा सकूं
मेरे इश्क को तू पनाह दे, फिर तुझे इश्क मैं अपना नजर करूं!

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22 JUN 2024 AT 16:27

चाहे कोशिश कर लो कितनी भी, चाहे तुम जी जान लगा दो
किसमत सब ले जाएगी , चाहे अपने प्राण लगा दो!
कर लो बातें ऊंची- ऊंची, सपनों के मिनार बना लो
पलक झपकते मिट्टी है सब , चाहे अपनी आन लगा दो!
पेड़ तुम्हें सभी सूखे मिलेंगे , हरियाली ना कहीं दिखेगी
इच्छाओं के नव अंकुर पर ,चाहे तुम बरसात करा दो!
हृदय रहेगा बंजर- बंजर, अंतर्मन भी विलाप करेगा
निर्जनता भी शमसान सी होगी , चुने राह पर चाहे फिर तुम
कितना भी उन्माद मचा लो !

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22 MAY 2024 AT 23:11

"A bittersweet good bye!"

Good bye to those who made me doubt my path,
And to those who showed me the right one!
Good bye to those who made my life hard,
And to those wo helped in making it bearable!
Good bye to those who tried to push me in trauma,
And to those who helped me in healing without knowing a thing!
Good bye to those who pretended to help me,
And to those who actually did !
Good bye to those who hid their faces behind a sweet and caring mask,
And to those never wore one!
At the end of the day it was all a part of my life,
So now let's just wish eachother a bitter sweet goodbye!
A bitter goodbye to those whom I will never forgive for what they did!
And a sweet goodbye to those whom I will never forget for what they did!

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18 MAY 2024 AT 20:57

तुम्हारे साथ चलने से रास्ते आसान नहीं होंगे ,
पर सफर खूबसूरत जरूर हो जायेगा !
तुम्हारे साथ चलने से मंज़िल मिलने का डर भी थोड़ा सताएगा !
सताएगी मंज़िल मिलने के बाद की वो रात
जिसमें तुम नहीं होगे !
डराएंगी वो खुशियां जो तुम्हारे बगैर मिलेंगी !
इसलिए एक ख्वाहिश है मेरी
पूरी करोगे क्या?
मेरे साथ चलते हुए मंज़िल के रास्ते में मेरा हाथ थामोगे क्या?
जब सताएगा ख़्याल तुम्हारे बगैर रहने का
तुम मेरे सिर पर अपना हाथ सहलाओगे क्या?
मैं तुम्हें अपना सफ़र, अपना रास्ता, अपनी मंज़िल बनाने को तैयार हूं!
बताओ! तुम भी मुझे अपनी आखरी मंजिल बनाओगे क्या?

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19 APR 2024 AT 22:34

मैं बनारस का गंगा घाट तुम सांझ की आरती लगती हो,
कोलाहलपूर्ण इस वातावरण में तुम शंख नाद की शांति हो
हवन कुण्ड की अग्नि सी तुम मेरे नेत्रों में चमकती हो
इच्छा यही है अब एक मात्र प्रिये
मैं शिव के समान दाहिने होऊं और तुम मेरे वाम अंग में बसती हो!

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10 APR 2024 AT 23:10

ख्वाबों से दूर
अपनों से दूर
एक सपना है,
खुली आंखों का है
कि मेरा एक घर अपना है
हर कोना जिसका मैंने संवारा
हर जिसके बाहर नाम भी मेरा अपना है
नींदों से दूर
ख्वाबों से दूर
अपनों से दूर
मेरा एक सपना है!

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9 APR 2024 AT 22:24

The picture is as dark as my thoughts, intentions, career, future, mind , feelings!
So dark that monsters can come out to hunt me! To give me pain! To torture my soul! To make me miserable!
So dark that it pushed me to the pit of negativity! With no source of hope, peace, happiness, calmness!
Everything seems meaningless! It's so cold! Nothing makes sense! No one seems trustworthy! Everything is in fog! Don't know when the fog will be clear and I'll have a little bit of ray!
The sunshine! The sunrise! The positivity! I miss the warmth!

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