Trupti k.   (Trupti k.(अबोली))
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Joined 28 September 2019


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29 JUN 2022 AT 16:40

हे निवडताना खरतरं स्वप्नच निवडलं होतं
पण कधी ते पिंजऱ्यात कैद झालं
कळलच नाही...

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29 JUN 2022 AT 16:33

रहती हो तुम।
जब खुद के लिए जीने लगोगी
तो सारे जवाब अपने आप मिल जाएँगे।

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9 APR 2022 AT 22:41

भेटावे तुला त्या कट्टयावर
पुन्हा जगावे हरवलेले ते क्षण तुझ्यासवे...
वाफाळलेला तो चहा अन्
तासन् तास गप्पांमध्ये हरवावे...

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9 APR 2022 AT 22:33

मिल जाती है तेरी बातें ।
बादल छाँ जाते है मन पर
और बरसने लगती है तेरी यादें।

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25 MAR 2022 AT 15:35

संवाद सारे अबोल झाले
बोलणे अजूनही थांबले नाही...
विरहाच्या त्या वाटेवरती
तुला विसरणे जमले नाही...

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9 MAR 2022 AT 21:35

माझ्या मनाचा ठाव तू घेतलास कधी??
आपलेपणाने विचारलस कधी??
तुझ्या स्वप्नापुढे माझी स्वप्न
तू नेहमीच खुजी ठरवली
विश्वात तुझ्या मला तू सामावलस कधी??

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24 FEB 2022 AT 19:07

अपने तो अपने है ही नही।
जिसे खुद से ज्यादा जानते है
वो पहचानते भी नही।

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24 FEB 2022 AT 19:04

बाकी बचा ही क्या है
सिवाय तेरी यादों के।

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23 FEB 2022 AT 20:49

बस कोशिश कर रहे है
फिर से नये ख़्वाब जोड़ने की।
क्योंकी ख़्वाब बस टूटे है खत्म नही।

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23 FEB 2022 AT 7:09

आज फिर तेरी याद आ गई।
पुराने जख्म दिल के
ताज़ा कर गई।

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