मन को अब
उपजती ही नहीं कविताएं
तू भी तो अब खयालों में
उतना नहीं आता जाता
©ऋतु जोशी-
अगर तुम छटपटा रहे हो,
तो तुम गलत जगह पर हो....
जैसे...
मछली,पानी के बाहर...
©Rittujoshi-
कुछ लोग कभी थक नहीं सकते.....
जिंदगी उन्हें थकने की इजाज़त ही कहां देती?
© ऋतु जोशी-
प्रेम का भी अपना
एक अजीब सा तिलिस्म होता है....
और वो जब टूटता है न!
तब पता चलता है कि
किसी एक को पाने की जिद्द में
हम कितना कुछ हार चुके हैं
कितना कुछ खो चुके हैं....
जिसे अब कभी
दुबारा पाया नहीं जा सकता
© ऋतु जोशी-
और कितने झूठ बोलोगे?
एक सच को छुपाने के खातिर....
तुम डाले जा रहे हो
परत पर परत झूठ की
सोच कर कि
सच उन सब झूठ के नीचे
बखूभी छुप जाएगा
किसी को नजर नहीं आएगा
पर तुम्हें एक बात बताऊं मैं?
तुम्हारी झूठ की परतों के नीचे
बहुत गहरे दबा वो सच
सड़ कर बदबू मरने लगा है
जिसकी गंध
अब मुझे
तुम्हारे नजदीक आने पे
तुम्हारी देह से भी आती है
© ऋतु जोशी-
जिंदगी
तूने मुझे
सताया तो बहुत है
पर मैं सोचती हूं कि
जो तू सताती नहीं
तो मैं सीखती नहीं
© ऋतु जोशी-
मुझे नहीं मालूम
मेरी कोशिशों से
मेरे जीवन की कहानी
कभी बदलेगी की नहीं
हाँ!
मुझे इतना जरूर पता है
की मेरी कोशिशों में
कभी
कोई कमी रहेगी नहीं
© ऋतु जोशी
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तुमसे दूर होते होते
बहुत दूर
निकल आई
अब बुलाओगे भी
तो
लौटना मुमकिन
न हो सकेगा
©ऋतु जोशी-
माना कि तुमसे प्रेम था
इसलिए जी ली,
पर सुनो!
ये वो जिंदगी कतई नहीं है
जो मैं जीना चाहती थी
तुम्हारे साथ
© Rittu joshi-
किसी के दुख की देह
पर रख कर
सजाए गए सुख की उम्र
बहुत छोटी होती है
©Ritu Joshi-