सुर्ख ज़र्द लिबास में
मेरी जान मेरे ख्वाब में
कितनी खूब लगती हो
आंखों को ख्वाब लगती हो
इश्क़ कर जो बैठे हैं
इश्क़ ही निभाया है
ये खूबसूरत बादल है
या तेरी जुल्फों का साया है
ये लब ये कहकशां हैं क्या
तू मेरी जान क़बा ए गुल है
आसमान का तारा है
कितना प्यारा है
कितनी शफाफ हैं तेरी रगें
तेरी आंखें तेरे कंधे
तू मेरी जान मुस्कुराया कर
उदासियों के गम न उठाया कर।
वीर
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