मुझे बेरहम आग की ज़द में लाकर हँसने वालों,
मेरे हौंसलों को धुआँ बनाकर हँसने वालों,
मालूम नहीं तुम्हें, उठते धुएँ भी कमाल करते हैं,
जो ज़िद पे आ जाएं तो, शरारे सौ सूरज निगलते हैं !
-
6 APR AT 7:49
4 APR AT 21:38
सच्चा इश्क़ करना कभी यूँ ही टूट कर
फिर देखना टूटने की हद क्या होती है,
जाना कभी प्यास लिए, सहरा की तरफ,
फिर देखना तिश्नगी की ज़द क्या होती है।
-
4 APR AT 14:24
ठहरे घुप्प अंधेरे में रोशन चराग़ ढूँढ रहे थे,
हम बूचड़-ख़ाने में मेहरबान ढूँढ रहे थे।
-
4 APR AT 0:29
दिल-ए-बाबिल का क़िस्सा अब धुंधला फ़साना है,
खो गया वो सिकंदर है, खो गया वो ज़माना है।
-
2 APR AT 20:08
सहमा सा ख़ाली-पन,
पसरा सा ख़ाली-पन,
बंद आँखों के पीछे,
गहरा सा ख़ाली-पन।
घबराकर खुली जो आँख, तो
चटक रौशनी के पीछे,
छलिया सा ख़ाली-पन।-
8 JAN AT 0:01
गुल, ख़ुश्बू, सब उजले-गहरे धोखे हैं,
कांटों की दुनिया, कांटों के तोहफ़े हैं।
दिल, ना खेल तमाशा ताले-चाबी का,
उधार की ज़िंदगी है, साँसों के तोते हैं।
-